इस मंदिर में रावण की भी होती है पूजा, शर्त पूरी करने पर ही मिलता है प्रवेश… ऐसा है भगवान श्रीराम का निराला धाम
इस मंदिर में आसानी से नहीं मिलता प्रवेश
मंदिर का नाम है अपने राम का निराला धाम, और यहां आप इतनी आसानी से अंदर नहीं जा सकते इसके अंदर जाने के लिए आपको 108 बार राम लिखने पर ही प्रवेश मिलता है। श्रद्धालु नेहा गोयल ने बताया कि यह मंदिर सभी आम मंदिरों की तरह नहीं है यहां पर प्रवेश के लिए एक शर्त है जिसे दर्शन से पहले आपको मानना पड़ता है। इस मंदिर में विशाल मूर्तियां हैं।
इस मंदिर में होती है रावण की पूजा
मंदिर में राम भगवान के साथ-साथ रावण की पूजा भी कि जाती है व रावण के अतिरिक्त शयनअवस्था में कुंभकरण, मेघनाथ और विभीषण की मूर्तियां भी हैं। यही सामने त्रिजटा, शबरी, कैकयी, मंथरा और सूर्पणखा की मूर्तियां स्थापित हैं और पास में अहिल्या, मन्दोदरी, कुन्ती, द्रौपदी और तारा की मुर्तिया स्थापित की गयी है।
अब आप यही सोच रहे होंगे की यह मंदिर आखिर कौन से सदी का है। तो आपको बता दे की यह मंदिर को बने केवल 33 साल हुए हैं। इस मंदिर की स्थापना 1990 में की गई थी। मंदिर को स्थापित करते हुए यही कहा गया था की रामायण में जो भी पात्र है वो सब पूजनीय हैं। इस कारण यहाँ सबकी मुर्तिया रखी गयी है। कहा गया है की महापंडित और ज्ञानी होने के नाते रावण हमेशा पूजनीय रहेगा।
शनि महाराज का संदेश-
मंदिर के दीवारों पर कई सारी बाते लिखी गयी है। जिसमें रावण के मूर्ति के पास लिखा हुआ है कि हे कलियुग वासियो मुझे भस्म करना छोड़ दो और अपने भीतर के राग, द्वेष, अहंकार को भस्म करो | यहीं शनि महाराज का संदेश भी लिखा है। इसके मुताबिक शनि महाराज कहते हैं कि हे कलियुग वासियों तुम मुझ पर तेल चढ़ाना छोड़ दो तो मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दूंगा। केवल राम नाम का जाप करो मतलब 108 बार राम नाम लिखना शुरू कर दो तो मैं (शनि) तुमको सारी विपत्तियों से मुक्त कर दूंगा।
मंदिर नहीं चढ़ावा चढ़ाना मना है, जानिए क्यों
इस मंदिर में बस आप राम का नाम लिख कर आ सकते हैं। वही यहां किसी भी तरह का चढ़ावा चढ़ाना मना है। इस मंदिर में एक भी दानपेटी नहीं है और ना ही किसी को भगवान को अगरबत्ती लगाया जाता है। यहां जो आता है उन्हें अपने जीवन में मुक्ति की तलाश रहती है। यहाँ किसी भी तरह की मोह माया वाली चीजे नहीं की जाती बल्कि पुजारी के मुताबिक अपने मनोकामना के लिए आप केवल 108 बार राम नाम लिखें इतना ही काफी है।