आतंकियों से लड़ा, ग्रेनेड झेला पर… जान की बाजी लगाकर परिवार को बचाने वाले लड़के की कहानी
सुनने की क्षमता जा चुकी है। ठीक से दिखाई भी नहीं देता। लकवा हो गया है। वह अच्छे से न बात कर पाता है और न ही खड़ा हो पाता है। 2020 में नैशनल ब्रेवरी अवॉर्ड से सम्मानित सौम्यदीप पर पिता को गर्व है। हालांकि बच्चे को हालत देखकर उनका दर्द भी छलक पड़ता है। वह परेशान हैं कि सौम्यदीप की बाकी जिंदगी कैसे कटेगी? वह क्या करेगा? कौन उसका बोझ उठाएगा?
घटना 10 फरवरी, 2018 की है। पश्चिम बंगाल के हरिपद जैना जम्मू में तैनात थे। आर्मी में पर्सनल असिस्टेंट थे। ट्रांसफर की चिट्ठी आ गई थी। शिफ्ट होने के लिए सामान बांध लिया था। सुबह पौने पांच बजे अचानक फायरिंग की आवाज सुनी। घर फायरिंग रेंज में था तो यह नॉर्मल बात लगी। पर फायरिंग उनकी तरफ बढ़ती जा रही थी। वह दरवाजे पर पहुंचे। सौम्यदीप अपनी बहन और मां के पास दूसरे कमरे में छिप गया। तीन आंतकी थे। गेट पर आकर फायर करने लगे। बहुत कोशिश की, लेकिन पहला दरवाजा टूट गया। हरिपद बेड के नीचे छिप गए। एक आतंकी गेट पर रुका रहा, दूसरा बेड के पास खड़ा रहा और तीसरा उस रूम की तरफ गया, जहां परिवर के बाकी लोग थे।
तीसरे आतंकी ने बहुत कोशिश की, गोली चलाई, लेकिन गेट नहीं खुला। सौम्यदीप ने सारे सामान से गेट ब्लॉक कर दिया था। आतंकी ने गोली के साथ ग्रेनेड भी मारा। कुछ देर के बाद रूम से खून बाहर तक आ गया। आतंकी को लगा कि अंदर मौजूद आदमी मर गया। वह चला गया। सौम्यदीप की बहादुरी से आतंकियों का काफी समय लग गया। आर्मी पहुंच गई और आतंकी भी मारे गए।
सौम्यदीप को उधमपुर हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। इसके बाद दिल्ली में इलाज हुआ। 5 सर्जरी की गई। एम्स ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक गुप्ता ने सिर को सही लुक देने के लिए थ्री डी कस्टमाइज्ड क्रैनियोप्लास्टी की। ब्रेन और लंग्स में अभी भी छर्रे हैं। दर्द यही कम नहीं हुआ। हरिपद की पत्नी को भी सुनने की क्षमता कम हो गई। टेस्ट में पता चला कि कान के पर्दे में छेद है। सौम्यदीप की आगे की जिंदगी कैसी होगी, डॉक्टर इसकी गारंटी नहीं दे पा रहे हैं। पढ़ाई बाधित हो गई है। वह दिल्ली कैंट के दिव्यांग स्कूल आशा में वह पढ़ रहा है। अब 18 साल का हो गया है। अभी 11वीं क्लास में है।