आखिर क्यों डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य से मिलने उनके घर पहुंचे सीएम योगी?
सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में ऐसा पहली बार है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने उनके घर पर पहुंचे
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा, जब पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने उनके घर पहुंचे। उनके साथ आरएसएस के पदाधिकारी और दूसरे डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा भी रहे। यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों के बीच 36 का आंकड़ा सर्वविदित है। लेकिन आज जब दोनों दिग्गज मिले तो उनके चेहरों की मुस्कान कुछ और ही कहानी कहती नजर आई। सबने उनके आवास पर पेट भर खाना खाया केशव मौर्य के नवविवाहित बहू-बेटे को आशीर्वाद दिया, बदले में उन्हें तोहफे भी दिये गये। वजह कुछ भी हो, लेकिन इस मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खासकर तब जब पिछले हफ्ते ही केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 2022 में यूपी में सीएम का चेहरा दिल्ली से ही तय होगा। इससे पहले भी दोनों दिग्गजों के मनमुटाव कई बार खुलकर सामने आ चुका है।
बीजेपी की ओर से इस बाबत कोई बयान तो नहीं आया, लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर हुई तस्वीरें बता रही हैं कि मुलाकात का मकसद की मतभेद दूर करना था। बीते दिनों जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम फेस को लेकर मीडिया को बयान दिया, एक बार फिर दोनों के बीच की दूरियां नजर आने लगी थीं। भाजपा आलकमान जानता है कि यूपी में बीजेपी की सफलता के लिए योगी और केशव दोनों ही जरूरी हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की कोशिश बीच का रास्ता निकालने की है।
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दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान जानता है कि केशव प्रसाद मौर्य के साथ करीब 17 फीसदी ओबीसी वोट है, जबकि सीएम योगी हिंदुत्ववादी एजेंडे को लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती। आरएसएस पदाधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री का डिप्टी सीएम से मिलना नये पैचअप की ओर इशारा कर रहा है।
2017 की जीत में केशव प्रसाद की थी अहम भूमिका
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 की जीत में केशव मौर्य की अहम भूमिका थी। तब वह यूपी बीजेपी अध्यक्ष थे। जीत के बाद माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य ही यूपी के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी को बिठाया और केशव मौर्य को उपमुख्यमंत्री का पद मिला। अब तक के कार्यकाल में कई बार दोनों के मनमुटाव की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनीं।
यह भी पढ़ें : बीजेपी की नैया पार लगाएंगे ये महारथी, चुनाव से पहले मिली बड़ी जिम्मेदारी
सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में ऐसा पहली बार है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने उनके घर पर पहुंचे
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा, जब पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने उनके घर पहुंचे। उनके साथ आरएसएस के पदाधिकारी और दूसरे डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा भी रहे। यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों के बीच 36 का आंकड़ा सर्वविदित है। लेकिन आज जब दोनों दिग्गज मिले तो उनके चेहरों की मुस्कान कुछ और ही कहानी कहती नजर आई। सबने उनके आवास पर पेट भर खाना खाया केशव मौर्य के नवविवाहित बहू-बेटे को आशीर्वाद दिया, बदले में उन्हें तोहफे भी दिये गये। वजह कुछ भी हो, लेकिन इस मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खासकर तब जब पिछले हफ्ते ही केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 2022 में यूपी में सीएम का चेहरा दिल्ली से ही तय होगा। इससे पहले भी दोनों दिग्गजों के मनमुटाव कई बार खुलकर सामने आ चुका है।
बीजेपी की ओर से इस बाबत कोई बयान तो नहीं आया, लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर हुई तस्वीरें बता रही हैं कि मुलाकात का मकसद की मतभेद दूर करना था। बीते दिनों जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम फेस को लेकर मीडिया को बयान दिया, एक बार फिर दोनों के बीच की दूरियां नजर आने लगी थीं। भाजपा आलकमान जानता है कि यूपी में बीजेपी की सफलता के लिए योगी और केशव दोनों ही जरूरी हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की कोशिश बीच का रास्ता निकालने की है।
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दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान जानता है कि केशव प्रसाद मौर्य के साथ करीब 17 फीसदी ओबीसी वोट है, जबकि सीएम योगी हिंदुत्ववादी एजेंडे को लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती। आरएसएस पदाधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री का डिप्टी सीएम से मिलना नये पैचअप की ओर इशारा कर रहा है।
2017 की जीत में केशव प्रसाद की थी अहम भूमिका
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 की जीत में केशव मौर्य की अहम भूमिका थी। तब वह यूपी बीजेपी अध्यक्ष थे। जीत के बाद माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य ही यूपी के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी को बिठाया और केशव मौर्य को उपमुख्यमंत्री का पद मिला। अब तक के कार्यकाल में कई बार दोनों के मनमुटाव की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनीं।
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