अयोध्या को शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा क्यों बना रहे Brij bhushan Singh? जानिए रामनगरी से नाता
लखनऊ: कैसरगंज के सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पांच जून को अयोध्या में अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। अयोध्या के रामकथा पार्क में संतों के आह्वान पर उन्होंने जन चेतना रैली आयोजित की है, जिसमें वह देशभर से संतों के साथ अपने समर्थक जुटा रहे हैं। बृजभूषण यह आयोजन ऐसे समय कर रहे हैं जब वह पहलवानों के यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोपों से घिरे हैं। मेडल विनर्स उनके खिलाफ धरने पर हैं। वे सियासी समर्थन जुटाने के साथ ही धर्मस्थलों का भी रुख कर रहे हैं। इस माहौल में बृजभूषण का अयोध्या को शक्ति प्रदर्शन के अखाड़े के तौर पर चुनना तमाम सवाल खड़े कर रहा है।
विवाद में फंसने के बाद बृजभूषण की कुश्ती संघ में साख तो खतरे में पड़ ही चुकी है, उनका राजनीतिक भविष्य भी संकट में दिख रहा है। विपक्ष के साथ ही वह हरियाणा के भाजपा व सहयोगी दलों के नेताओं के भी निशाने पर हैं। इस वजह से भाजपा के भीतर भी उन्हें लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अब संतों के सहारे
विवाद में फंसने के बाद बृजभृषण पिछले दिनों अयोध्या में हनुमानगढ़ी पहुंचे थे। वहां, हनुमानगढ़ी के महंत बृजमोहन दास, कथा वाचक राम दिनेशाचार्य और डांडिया मंदिर के महंत गिरीशदास समेत कई संत मौजूद थे। बीते दिनों उनके दिल्ली आवास पर भी अयोध्या के कुछ चेहरे पहुंचे हैं। पढ़ाई के दिनों में अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के महंतों की संगत में ही बृजभूषण ने पहलवानी के शुरुआती दांव-पेंच भी सीखे थे। हनुमानगढ़ी में उन्होंने हिंद केसरी बाबा हरिशंकर दास के साथ लंबे समय तक पहलवानी में दांव आजमाए। हनुमानगढ़ी के बड़े अखाड़े का जीर्णोद्धार भी बृजभूषण ही करवा रहे हैं। चर्चा है कि विवादों में फंसने के बाद बृजभूषण को लेकर बीजेपी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। संतों को आगे कर अपनी सफाई के लिए रैली करने के पीछे यह भी एक वजह मानी जा रही है। कैसरगंज के सांसद बृजभूषण ने अपनी सियासत की शुरुआत भी अयोध्या से ही की थी। साकेत पीजी कॉलेज में वह छात्रसंघ महामंत्री चुने गए थे। बाबरी ढांचा विध्वंस में सीबीआई ने उन्हें भी आरोपित बनाया था और गिरफ्तारी भी हुई थी। राममंदिर आंदोलन ने ही तब उनके लिए भाजपा के रास्ते खोले थे।
अयोध्या ही क्यों?
बृजभूषण काफी समय से अयोध्या को अपने आंदोलनों के केंद्र में रखते आए हैं। इस साल की शुरुआत में ही बृजभूषण पर महिला पहलवानों ने आरोप लगाए थे, तब भी उन्होंने कुश्ती संघ की बैठक अयोध्या में ही बुलाई थी। बैठक बाद में सरकार के दखल के बाद टाल दी गई थी। पिछले साल जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे अयोध्या आने वाले थे, तब भी बृजभूषण ने अयोध्या में उनके आने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि जब तक वे उत्तर भारतीयों से माफी नहीं मांगते, उन्हें अयोध्या नहीं आने दिया जाएगा। इस पूरे आंदोलन का केंद्र भी उन्होंने अयोध्या को बनाया। जिस रामकथा पार्क में बृजभूषण इस बार रैली करने जा रहे है, उस वक्त भी रैली के लिए उन्होंने यही जगह चुनी थी, लेकिन बाद में बड़े नेताओं के समझाने पर रैली टाल दी गई थी। इस बार भी उन्होंने अपनी रैली के लिए अयोध्या को चुना है। चर्चा है कि अब वह कैसरगंज की बजाए अयोध्या से 2024 का चुनाव लड़ना चाहते हैं। कैसरगंज से वह अपने दूसरे बेटे करण को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। उनके करीबी यह भी तर्क देते हैं कि अब प्राधिकरण के बढ़े दायरे के बाद उनका नवाबगंज स्थित घर भी अयोध्या विकास प्राधिकरण की सीमा में आ चुका है, इसलिए अयोध्या उनका संसदीय क्षेत्र हो सकता है।
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विवाद में फंसने के बाद बृजभूषण की कुश्ती संघ में साख तो खतरे में पड़ ही चुकी है, उनका राजनीतिक भविष्य भी संकट में दिख रहा है। विपक्ष के साथ ही वह हरियाणा के भाजपा व सहयोगी दलों के नेताओं के भी निशाने पर हैं। इस वजह से भाजपा के भीतर भी उन्हें लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अब संतों के सहारे
विवाद में फंसने के बाद बृजभृषण पिछले दिनों अयोध्या में हनुमानगढ़ी पहुंचे थे। वहां, हनुमानगढ़ी के महंत बृजमोहन दास, कथा वाचक राम दिनेशाचार्य और डांडिया मंदिर के महंत गिरीशदास समेत कई संत मौजूद थे। बीते दिनों उनके दिल्ली आवास पर भी अयोध्या के कुछ चेहरे पहुंचे हैं। पढ़ाई के दिनों में अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के महंतों की संगत में ही बृजभूषण ने पहलवानी के शुरुआती दांव-पेंच भी सीखे थे। हनुमानगढ़ी में उन्होंने हिंद केसरी बाबा हरिशंकर दास के साथ लंबे समय तक पहलवानी में दांव आजमाए। हनुमानगढ़ी के बड़े अखाड़े का जीर्णोद्धार भी बृजभूषण ही करवा रहे हैं। चर्चा है कि विवादों में फंसने के बाद बृजभूषण को लेकर बीजेपी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। संतों को आगे कर अपनी सफाई के लिए रैली करने के पीछे यह भी एक वजह मानी जा रही है। कैसरगंज के सांसद बृजभूषण ने अपनी सियासत की शुरुआत भी अयोध्या से ही की थी। साकेत पीजी कॉलेज में वह छात्रसंघ महामंत्री चुने गए थे। बाबरी ढांचा विध्वंस में सीबीआई ने उन्हें भी आरोपित बनाया था और गिरफ्तारी भी हुई थी। राममंदिर आंदोलन ने ही तब उनके लिए भाजपा के रास्ते खोले थे।
अयोध्या ही क्यों?
बृजभूषण काफी समय से अयोध्या को अपने आंदोलनों के केंद्र में रखते आए हैं। इस साल की शुरुआत में ही बृजभूषण पर महिला पहलवानों ने आरोप लगाए थे, तब भी उन्होंने कुश्ती संघ की बैठक अयोध्या में ही बुलाई थी। बैठक बाद में सरकार के दखल के बाद टाल दी गई थी। पिछले साल जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे अयोध्या आने वाले थे, तब भी बृजभूषण ने अयोध्या में उनके आने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि जब तक वे उत्तर भारतीयों से माफी नहीं मांगते, उन्हें अयोध्या नहीं आने दिया जाएगा। इस पूरे आंदोलन का केंद्र भी उन्होंने अयोध्या को बनाया। जिस रामकथा पार्क में बृजभूषण इस बार रैली करने जा रहे है, उस वक्त भी रैली के लिए उन्होंने यही जगह चुनी थी, लेकिन बाद में बड़े नेताओं के समझाने पर रैली टाल दी गई थी। इस बार भी उन्होंने अपनी रैली के लिए अयोध्या को चुना है। चर्चा है कि अब वह कैसरगंज की बजाए अयोध्या से 2024 का चुनाव लड़ना चाहते हैं। कैसरगंज से वह अपने दूसरे बेटे करण को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। उनके करीबी यह भी तर्क देते हैं कि अब प्राधिकरण के बढ़े दायरे के बाद उनका नवाबगंज स्थित घर भी अयोध्या विकास प्राधिकरण की सीमा में आ चुका है, इसलिए अयोध्या उनका संसदीय क्षेत्र हो सकता है।
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