अमेरिका पस्त, चीन त्रस्त और भारत मस्त… इंडिया के जल्दी आने वाले हैं अच्छे दिन!

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अमेरिका पस्त, चीन त्रस्त और भारत मस्त…  इंडिया के जल्दी आने वाले हैं अच्छे दिन!

अमेरिका पस्त, चीन त्रस्त और भारत मस्त… इंडिया के जल्दी आने वाले हैं अच्छे दिन!

नई दिल्ली: आईएमएफ (IMF) और गोल्डमैन सैश (Goldman Sachs) के अनुमानों के मुताबिक साल 2075 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी होगा। तब केवल चीन ही भारत से आगे होगा। लेकिन हाल के दिनों में चीन और अमेरिका की इकॉनमी के बारे जिस तरह के खबरें आई हैं, उससे लगता है कि भारत अनुमानों से कहीं टॉप पर पहुंच सकता है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे तो देश की इकॉनमी दो ट्रिलियन डॉलर की थी और भारत दुनिया की दसवीं बड़ी इकॉनमी था। एक साल बाद भारत सातवें स्थान पर पहुंच गया। 2017 में भारत इस लिस्ट में छठे नंबर पर आ गया और 2021 में पांचवें नंबर पर पहुंच गया। आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक 2027 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी होगा। तब उससे आगे केवल अमेरिका और चीन रह जाएंगे।

चीन की इकॉनमी अभी 19.373 ट्रिलियन डॉलर की है। 2028 तक इसके 27.4 ट्रिलियन डॉलर और 2075 तक 57 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यानी अगले 52 साल में उसकी इकॉनमी करीब तीन गुना बढ़ जाएगी। इस दौरान अमेरिकी की इकॉनमी भी दोगुना होकर 51.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच जाएगी। अमेरिका अभी 26.885 अरब डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। लेकिन 2075 में अमेरिका तीसरे नंबर पर खिसक जाएगा। तब भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी होगा और नंबर पर काबिज चीन से थोड़ा ही पीछे होगा। अभी भारत की इकॉनमी का साइज 3.737 ट्रिलियन डॉलर है जिसके 2028 तक 5.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है। साल 2075 तक भारत की इकॉनमी 52.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच सकती है। यानी अगले 52 साल में भारत की इकॉनमी के करीब 14 गुना बढ़ने का अनुमान है।

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अमेरिका

दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका को हाल में तगड़ा झटका लगा है। दिग्गज रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका की रेटिंग को गिरा दिया। फिच ने यूएस की रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है। इसके बाद यूएस शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। हाल ही में अमेरिका पर दिवालिया होने की तलवार लटक गई थी। अमेरिका पर कर्ज काफी अधिक बढ़ गया है। डेट सीलिंग बढ़ाने के मुद्दे पर देश में कई दिनों तक राजनीतिक गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। ऐसे में इकॉनमी के हालात को देखते हुए फिच ने अमेरिका की रेटिंग घटा दी है। 2011 के बाद यह पहला मौका है जब किसी एजेंसी ने अमेरिका की रेटिंग गिराई है। तब एसएंडपी ने अमेरिका की रेटिंग डाउनग्रेड की थी। अब केवल मूडीज की रेटिंग में अमेरिका को AAA रेटिंग हासिल है।

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चीन

लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह चीन की हालत खराब हुई है, उससे लगता है कि भारत अनुमानों से कहीं पहले चीन को पछाड़ सकता है। चीन में जून तिमाही के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं। देश का एक्सपोर्ट बुरी तरह गिरा है और बेरोजगारी चरम पर है। अमेरिका और यूरोप के कई देश चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं। देश में खपत बुरी तरह गिरी हुई है। मॉर्गन स्टेनली ने चीनी शेयरों पर अपनी रेटिंग को घटाकर इक्वल वेट कर दिया है। फर्म ने कहा कि निवेशकों को प्रॉफिट के लिए सरकारी प्रोत्साहन से प्रेरित उछाल का लाभ उठाना चाहिए। चीन द्वारा विकास को बढ़ावा देने और देश के कमजोर होते प्राइवेट सेक्टर को पुनर्जीवित करने के कई वादों के बीच हाल के दिनों में चीनी एसेट्स को बूस्ट मिला है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि ये शेयरों में मुनाफा बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं रहेंगे।

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भारत

मॉर्गन स्टेनली ने भारत के स्टेटस को बदलकर ‘ओवरवेट’ कर दिया है। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि देश का रिफॉर्म्स और मैक्रो-स्टेबिलिटी एजेंडा एक मजबूत कैपेक्स और प्रॉफिट आउटलुक को सपोर्ट करता है। मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि भारत की इकॉनमी भविष्य में बेहतर परफॉर्म करेगी। भारत के आर्थिक संकेतक लचीले बने हुए हैं और इकॉनमी 6.2 फीसदी के जीडीपी पूर्वानुमान को प्राप्त करने के रास्ते पर है। मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों ने कहा, ‘भारत हमारी प्रोसेस में 6 से बढ़कर 1 पर आ गया है। रिलेटिव वैल्यूएशन अक्टूबर की तुलना में कम चरम पर है। मल्टीपोलर वर्ल्ड डायनामिक्स को लीवरेज करने की भारत की क्षमता एक महत्वपूर्ण एडवांटेज है। भारत यकीनन ग्रोथ की एक लंबी लहर की शुरुआत में है। वहीं, चीन में यह खत्म हो रही है।’

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