अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारतीय निवेश का क्या होगा?

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अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारतीय निवेश का क्या होगा?

नई दिल्ली
India Investment in afgan: करीब 30 साल तक अफगानिस्तान में पहले आंदोलन और फिर कट्टरपंथी संगठन के तौर पर जमे रहे तालिबान ने आखिरकार देश की सत्ता हासिल कर ली है। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़ने को मजबूर कर दिया। अमेरिकी सेना के देश छोड़ने के बाद कुछ ही दिन में देखते ही देखते हर प्रांत, हर शहर पर तालिबान का कब्जा हो गया। इसके साथ ही सवाल यह भी है कि अब तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में भारत के निवेश का क्या होगा?

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अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अब बहुत अजीब स्थिति में पहुंच गया है। भारत ने अफगानिस्तान में अरबों डॉलर के निवेश किया हुआ है और तालिबान के उभर के बाद उसका निवेश फंस सकता है। अफगानिस्तान में कई देशों की 20 साल की मेहनत पर पानी फिर गया है दक्षिण एशियाई इलाके में भारत के रणनीतिक इंटरेस्ट के हिसाब से भी अफगान में सत्ता परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना है।

400 से अधिक प्रोजेक्ट हैं शामिल

भारत ने अफगानिस्तान में रोड, डैम, बिजली ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन, स्कूल-अस्पताल आदि बनाए हैं। भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया हुआ है। भारत की तरफ से अफगानिस्तान के इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में बड़े निवेश पर अब तालिबानी शासन की वजह से खतरा पैदा हो सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में भारत ने 400 से अधिक छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया है।

भारत ने बनाया है अफगानिस्तान का संसद
अफगानिस्तान में भारत के सबसे बड़े निवेश वाले प्रोजेक्ट में काबुल में अफगानिस्तान संसद है। अफगान पार्लियामेंट को बनाने में भारत ने करीब 675 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अफगान संसद का उद्घाटन भारत के पीएम मोदी ने साल 2015 में किया था। उन्होंने कहा था कि भारत-अफगान मैत्री ऐतिहासिक घटना है। अफगान संसद में एक ब्लॉक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भी है।

डैम की सुरक्षा पर सवाल
अफगानिस्तान में बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के हिसाब से एक सलमा डैम बनाया जा रहा था। हेरात प्रांत में बन रहा सलमा डैम 42 मेगावाट का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है। साल 2016 में इसका उद्घाटन हुआ था और इसे भारत-अफगान मैत्री प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। हेरात प्रांत में पिछले कुछ हफ्तों से अफगान सेना और तालिबान के बीच भारी जंग चल रही थी। तालिबान का दावा है कि सलमा डैम के आसपास के इलाकों पर अब उसका कब्जा हो गया है। सलमा बांध की सुरक्षा में तैनात कई सुरक्षाकर्मी भी तालिबानियों के हाथों मारे गए हैं।

ईरान सीमा के पास मौजूद हाईवे

भारत के बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने अफगानिस्तान में 218 किलोमीटर लंबा हाईवे बनाया है। ईरान सीमा के पास मौजूद जारांज-डेलारम हाईवे के निर्माण पर 15 करोड़ डॉलर खर्च हुए हैं। यह हाईवे इसलिए भी अहम है क्योंकि यह अफगानिस्तान में भारत को ईरान के लिए एक वैकल्पिक मार्ग देता है। जारांज हाईवे के निर्माण में भारत के 11 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। जारांज-डेलारम के अलावा भी कई रोड प्रोजेक्ट में भारत ने निवेश किया हुआ है। जारांज-डेलाराम प्रोजेक्ट भारत के सबसे महत्वपूर्ण निवेश में से एक है। पाकिस्तान अगर जमीन के रास्ते भारत को व्यापार करने से रोकने के प्रयास करता है तो उस स्थिति में यह सड़क बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।

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