मिर्गी एक बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं की अवस्था बिगड़ जाती है. इससे व्यक्ति को दौरे आने शुरू हो जाते हैं. इसके अनेंक लक्षण हो सकते हैं. जैसे – जब व्यक्ति को दौरा पड़ता है, तो वह असामान्य व्यवहार करता है तथा कभी कभी उत्तेजना का अनुभव करता है. मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति कभी कभी अपनी चेतना भी खो देता है तथा बेसुध भी हो जाता है. इसके लिए अनेंक कारण उत्तरदायी हो सकते हैं. जैसे कि यह बीमारी आनुवांशिक भी हो सकती है या फिर कई बार मस्तिक आघात के कारण भी व्यक्ति को मिर्गी आना शुरू हो जाता है.
मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए योग की बात करें, तो इसके लिए ताड़ासन से फायदा हो सकता है. इसके अलावा 3 से 6 माह में एक बार मिर्गी का दौरा पड़ता है, तो आप शीर्षासन कर सकते हैं. सर्वांगासन भी मिर्गी के मरीजों के लिए फायदेबंद होता है. इसके साथ ही मिर्गी की समस्या से छुटकारे के लिए गौमुखासन, मर्कटासन इत्यादी योग को भी किया जा सकता है.
मिर्गी के देसी इलाज की बात करें, तो अंगूर का रस मिर्गी के मरीज के लिए बहुत लाभदायक होता है. आधा किलों अंगूर का रस खाली पेट लेना चाहिएं. यह उपचार करीब 6 महिनें तक करना चाहिएं. तुलसी का पौधा बहुत गुणकारी होता है प्रतिदिन 20 तुलसी के पत्ते खाने से भी मिर्गी के इलाज में सहायता मिलती है. इसके अलावा पेठा भी मिर्गी के इलाज में बहुत कारगर सिद्ध होता है.
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पेठे की सब्जी बनाई जाती है. लेकिन यदि इसका नियमित जूस पिया जाए तो वह मिर्गी के मरीज के लिए बहुत लाभदायक होता है. गाय के दूध से बना हुआ मक्खन भी मिर्गी के रोगियों के लिए औषधी का काम करता है.
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