डीएम हो तो किसी को भी झापड़ मार दोगे क्या… ‘अपुन इच भगवान है’ वाली फीलिंग कैसे घुस जाती है

570
डीएम हो तो किसी को भी झापड़ मार दोगे क्या… ‘अपुन इच भगवान है’ वाली फीलिंग कैसे घुस जाती है

डीएम हो तो किसी को भी झापड़ मार दोगे क्या… ‘अपुन इच भगवान है’ वाली फीलिंग कैसे घुस जाती है

हाइलाइट्स:

  • शादी में निर्धारित लोगों में दुल्हा-दुल्हन शामिल नहीं हैं क्या
  • शादी में शामिल हुए लोगों पर लाठी भजवाना कहां का नियम है
  • बाद में माफी मांगने से आपका अपराध कम तो नहीं हो जाएगा

नई दिल्ली
मैं भगवान हूं… मैं जिले का राजा हूं उनके मन में ये भाव कैमरे पर साफ रूप से नजर आए। आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने में राजस्व वसूली की प्रथा जो हम सुनते आए हैं कुछ वैसा ही व्यवहार त्रिपुरा में डीएम साहब शैलेश कुमार यादव ने किया है। आप जनता के सेवक हैं डीएम साहब तो फिर ‘अपुन इच भगवान है’ वाली फीलिंग कैसे घुस जाती है। डीएम हैं तो किसी को भी झापड़ मार देंगे। ये अधिकार आपको कहां से मिल गया। शादी समारोह में घुसकर पुरुषो, महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों को हड़काना। शादी में शामिल होने आए लोगों पर पुलिसकर्मियों से लाठी भजवाना। ये कहां की अफसरशाही है। ट्रेनिंग के दौरान आपलोग जो जनता की सेवा की शपथ लेते हैं वह शपथ कहां भूल गए आप। आपने अपने व्यवहार से ब्यूरोक्रेसी पर तो काला धब्बा लगा दिया है।

Tripura News: शादी रोकने पर DM ने मांगी माफी, एक दिन पहले पंडाल में पहुंचकर लांघी थी ‘सीमा’

दूल्हे की गर्दन में हाथ लगाना भी नियम है क्या?
माना कि नियमों का उल्लंघन हुआ हो लेकिन ये कौन सा तरीका है नियमों का पालन कराने का। किसी को भी इस तरह से सरेआम बेइज्जत कर देंगे क्या आप? कम से कम जिसकी शादी हो रही है उनको तो बख्श देते आप। आप दूल्हे की गर्दन में हाथ लगा कर बाहर कर रहे हैं। दुल्हन को भी स्टेज से उतार दिया। शादी में यदि सीमित लोगों को अनुमति है तो क्या उस सीमित संख्या में दुल्हा- दुल्हन नहीं आते हैं क्या? अरे डीएम साहब कम से कम मैरिज हॉल में शामिल उन छोटे-छोटे बच्चों के बारे में तो सोचा होता। डरे हुए बच्चे आपकी भभकी से अपनी मां का हाथ पकड़े दुबके सिमटे से हॉल के बाहर जा रहे थे। उन बच्चों का क्या कसूर था।

भेड़-बकरियों की तरह हांकना कहां की अफसरशाही है
बारात में शामिल लोगों की कोई गरिमा नहीं है क्या जिन्हें भेड़ बकरियों की तरह हांक कर बाहर निकाला जा रहा है। ऊपर से बदतमीजी से बातचीत अलग। आप डीएम हैं तो किसी से भी बदतमीजी से बातचीत करने का अधिकार कहां से मिल जाता है। लोग बैठकर खाना खा रहे हैं, उन्हें बेइज्जत करके मैरिज हॉल से बाहर निकालना…ये कौन सी अफसरगिरी है। मैरिज हॉल पर छापा ऐसे मारा जैसे वहां कोई आतंकी घटना हुई हो या आतंकियों के छुपे होने की जानकारी मिली हो। शादी में शामिल मेजबान लोग परिमिशन की बात कहते हैं तो आप खुद का जारी किया परमिशन लेटर ही फाड़ देते हैं। ऑन कैमरा ये प्रशासनिक अधिकारियों की ये कौन सी छवि गढ़ रहे हैं। त्रिपुरा में प्रशासनिक अधिकारी शायद ही आपकी इस हरकत से खुद को गौरवान्वित महसूस कर पा रहे होंगे।

माफी मांगने से अपराध कम नहीं हो जाएगा
जो बेहूदगी वाला काम आपने किया है उसकी माफी तो बिल्कुल ही नहीं दी जा सकती है। ये कहना कि मेरा मकसद किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। मैं शादी रुकवाने के लिए माफी मांगता हूं। इससे आपका ये हरकत या बेहूदगी कही से भी कम नहीं हो जाती है। आप उन बच्चों और महिलाओं को कसूरवार हैं जिन्हें बिना किसी वजह के डर का सामना करना पड़ा।

dm tripura

यह भी पढ़े: दिल्ली में कितने ऑक्सीजन प्लांट है?

Source link