पवन पुत्र हनुमान की महिमा के बारे में तो आप जानते ही होगें. भगवान राम के प्रति उनकी स्वामी भक्ति के बारे में भी आपने जरूर सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पवन पुत्र हनुमान का नाम हनुमान क्यों पड़ा ? हनुमान के नाम का अर्थ क्या होता है ?
संस्कृत भाषा में “हनु” का अर्थ है “जबड़ा” और “मान” का अर्थ है “विरूपित करना”. हनुमान के बचपन का नाम मारूति था. एक बार बालक मारूति ने भगवान सूर्य को फल समझकर खा लिया था, जिससे पूरे संसार में अँधेरा छा गया था. इस घटना से क्रोधित होकर भगवान इन्द्र ने बालक मारूति पर वज्र से प्रहार किया, जिससे उनका जबड़ा टूट गया और वह मूर्छित हो गए. इसी घटना के बाद से बालक मारूति “हनुमान” के नाम से प्रसिद्ध हुए.
एक बार देवी सीता को सिंदूर लगाते देखकर हनुमानजी ने उनसे पूछा कि “वह सिंदूर क्यों लगाती है”. इस पर देवी सीता ने जवाब दिया कि “चूंकि श्रीराम उनके पति हैं अतः मैं उनकी लम्बी उम्र की कामना के लिए सिंदूर लगाती हूँ” यह सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि अगर देवी सीता द्वारा थोड़ा सिंदूर लगाने से श्रीराम की उम्र लम्बी हो सकती है तो अगर मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लूँ तो श्रीराम की उम्र कई गुना बढ़ जाएगी. ऐसा सोचकर उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लियाl चूंकि सिंदूर को “बजरंग” भी कहा जाता है.
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हनुमान जी की महिमा का वर्णन रामायण में भी देखने को मिलता है. उनके कारण ही भगवान राम सीता माता का पता खोज पाए थे तथा उन तक अपना संदेश पहुँचा पाए थे. हनुमान जी की पूजा मंगलवार के दिन की जाती है. इस दिन हनुमान जी के भक्तों द्वारा उपवास भी रखा जाता है. जिसके कारण उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.