LJP के अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार में नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने के प्रयासों में जुटे हैं. वे एनडीए (NDA) का हिस्सा बने रहते हुए ही जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खिलाफ कमर कस रहे हैं. दिल्ली में आज हुई एक बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार में सत्तारूढ़ नीतीश कुमार की जनता दल यूनाईटेड के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का फैसला किया. पार्टी ने बैठक के बाद कहा कि कोई भी उम्मीदवार बीजेपी के खिलाफ चुनाव मैदान में नहीं होगा और “जीतने वाले सभी उम्मीदवार बीजेपी-एलजेपी सरकार बनाएंगे.
“जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जब तक बीजेपी-नीतीश कुमार गठबंधन बरकरार है, “हमें प्रचंड बहुमत मिलने को लेकर कोई भ्रम नहीं है.” एनडीए के नेताओं के एक वर्ग का कहना है कि नीतीश कुमार को महीनों तक निशाने पर बनाए रखने का चिराग पासवान का कदम बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के मौन समर्थन के बिना संभव नहीं था.
एलजेपी ने राज्य-स्तर पर “वैचारिक मतभेद” का हवाला दिया है और कहा है कि वह “बिहार विजन डॉक्यूमेंट” को लागू करना चाहता है, जिस पर वह जेडीयू के साथ आम सहमति तक पहुंच गया है. एलजेपी ने कहा है कि “बीजेपी के साथ हमारा मजबूत गठबंधन है और बिहार में भी हम इस सहयोग को जारी रखना चाहते हैं. हमारे संबंधों में कोई खटास नहीं है.”
एलजेपी का फैसला जेडीयू के साथ कई महीनों से चल रहे विवाद के बाद आया है. राज्य में कोरोनो वायरस संकट से निपटने और नीतीश कुमार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को एनडीए में शामिल करने जैसे कई मुद्दे हैं जिनको लेकर विवाद चलता रहा है. मांझी दलित नेता हैं और पासवान का भी दलित समाज में जनाधार है. एलजेपी की बैठक में चिराग पासवान राज्य की सत्ता का शीर्ष पद पाने की अपनी महत्वाकांक्षाओं को व्यक्त करने में शर्मिंदा भी नहीं हुए.
एलजेपी ने सीटों के बंटवारे पर जल्द निर्णय लेने की भी मांग की थी लेकिन इस पर बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. एलजेपी के बार-बार यह स्पष्ट करने के बावजूद कि वह उचित संख्या में सीटें नहीं मॉिलने पर जेडीयू के खिलाफ चुनाव लड़ेगी, बीजेपी अब तक इस मुद्दे पर चुप रही है, पिछले हफ्ते एलजेपी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक में एक अल्टीमेटम दिया लेकिन इस मामले में कोई गति नहीं आई.
यह भी पढ़े:ईरान ने भारत को चाबहार पोर्ट प्राजेकट से क्यों निकाला?