बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब का जनार्दन ठाकूर और रजत शर्मा इन्होंने 19 दिसंबर 1993 को साक्षात्कार लिया था जो बहुजन समाज पार्टी के अधिकृत पेपर बहुजन नायक मराठी नागपूर के 15 मार्च 1994 के पेपर में छपा था |रजत शर्मा ने सवाल पूछा था सामाजिक परिवर्तन के लिए आपने ऐसे नारे दिए जिसमें कहा कि तिलक तराजू और तलवार | इनको मारो जूते चार |
उस सवाल का जवाब देने के लिए बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम ने कहा था यह कोई मेरा नारा नहीं है लेकिन इस से मैं सहमत हूं की जाति के आधार पर व्यवस्था बनाई गई है जिन्होंने अपने लिए अपने हित में अपने फायदे के लिए यह तीन हथियार इस्तेमाल किए हैं नारा जो तिलक और तलवार जो उनके हथियार है |
मायावती ने बहुत बार कहा है कि तिलक तराजू और तलवार यह बहुजन समाज पार्टी का अधिकृत नारा नहीं है और ना ही य़ह कभी दिया गया है लेकिन बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब के ज़ी टीवी को दिए गए 19 दिसंबर 1993 में दिए गए साक्षात्कार में स्पष्ट कांशीराम साहब ने बताया है कि वह इस नारे का समर्थन करते हैं वह इससे सहमत हैं |
नारों से पार्टी की विचारधारा झलकती थी, लेकिन अब विचारधारा का स्थान तात्कालिक जरूरत और राजनीतिक नफा-नुकसान ने ले लिया है। इसका सबसे बड़ा नमूना मायावती की बहुजन समाज पार्टी है। 1995 तक बसपा के कार्यकर्ता गला फाड़-फाड़कर नारा लगाते रहे- ‘तिलक-तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’, लेकिन 2007 आते-आते तक नारा कुछ यूँ हो गया- ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है’ और वहीं बसपा कार्यकर्ता नारा उछालने लगे- ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा।’ जाहिर है नारे वैसे ही गढ़े जाते हैं,जैसे राजनीतिक समीकरण होते हैं।
हालाँकि बाद में BSP प्रमुख मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी सवर्ण विरोधी नारा नहीं दिया। मायावती ने कहा कि ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ जैसा सवर्ण समुदाय विरोधी नारा नहीं लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल BSP की छवि खराब करने और अगड़ी जातियों के मतदाताओं का ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही हैं।मायावती ने कहा कि अगर उनकी पार्टी ने ऐसा नारा लगाया होता, तो BSP में कभी भी अगड़ी जाति के विधायक और नगर पार्षद इतनी प्रमुखता से नहीं होते। उन्होंने दावा किया कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।
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source:navbharattimes.indiatimes.com
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