स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में सुपौल को बिहार में बोधगया और बाढ़ को क्रमश: पहला और दूसरा स्थान मिला है। बिहार में मिला है। समस्तीपुर चौथे और भभुआ पांचवें स्थान पर हैं।दो श्रेणियों में में बांटे गये थे शहर : स्वच्छता सर्वेक्षण कराने के लिए नगर निकायों को दो श्रेणियों, एक लाख से अधिक आबादी वाले नगर निकाय और एक लाख से कम आबादी वाले नगर निकाय में बांटा गया था।
एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में कटिहार बिहार में पहले और ऑल इंडिया रैकिंग में 287 वां स्थान पर है। पटना को स्टेट में दूसरा व देश में 312 वां और किशनगंज को राज्य में तीसरा और देश में 345 वां स्थान मिला है। इस श्रेणी में सबसे निचले पायदान पर सहरसा है।
उसे स्टेट रैंकिंग में सबसे अंतिम और देश में 474 स्थान मिला है। एक लाख से कम आबादी वाले नगर निकायों में बोधगया को देश में 185 वां, बाढ़ को 188 वां और सुपौल को 200 वां स्थान मिला है। दोनों श्रेणी के सर्वेक्षणों में शहरों को मिले कुल अंकों के अनुसार सुपौल को बिहार में पांचवां स्थान मिला है। इसमें वीरपुर और निर्मली नगर पंचायतों की रैकिंग काफी खराब है।
केंद्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणामों की घोषणा की. इसमें बिहार के पटना जिले ने भी स्वच्छता में अपना स्थान बनाया है. बिहार के लिए बड़ी बात यह है कि पूर्वी भारत में पटना का 47वां रैंक है, जबकि, देश भर में 105 वां रैंक. खास बात यह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण में एक बार फिर इंदौर शहर ने बाजी मारी है. इंदौर ने लगातार चौथी बार सबसे स्वच्छ शहर का खिताब हासिल किया है.
केंद्र सरकार की ओर से जारी स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में इंदौर टॉप पर है. गुजरात का सूरत शहर दूसरे स्थान पर काबिज है. सर्वेक्षण के पहले संस्करण में भारत में सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मैसूर ने हासिल किया था. इसके बाद इंदौर लगातार तीन साल तक शीर्ष स्थान पर रहा है. इस साल भी इंदौर ने बाजी मारकर लगातार चौथे साल टॉप पर रहने का तमगा हासिल किया है. बताते चलें नगर निगम ने 2021 में पटना को देश के टॉप 50 स्वच्छ शहर में लाने का लक्ष्य तय किया है.
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