फास्टैग की जगह टोल टैक्स की नई तकनीक कौन सी है ?

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फास्टैग की जगह टोल टैक्स की नई तकनीक कौन सी है ? ( Which is the new technology of toll tax instead of FASTag? )

कुछ समय पहले तक आपने देखा होगा कि जब भी आप कोई ट्रक या कार लेकर रोड से यात्रा कर रहे होते थे, तो उसके लिए आपसे टोल टैक्स लिया जाता था. अभी हाल ही में आपने फास्टैग सिस्टम के बारे में सुना होगा. जिससे फास्टैग का स्टीकर लगाने से टोल टैक्स आपके अकाउंट से अपने आप कट जाता था. जिसका उद्देश्य टोल प्लाजा पर भीड कम करना तथा यात्रियों को सुविधा देना था. लेकिन अब भी लोगों को टोल प्लाजा पर भीड़ का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण लोगों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं. ऐसा ही एक सवाल है कि फास्टैग की जगह टोल टैक्स की नई तकनीक कौन सी है तथा क्या यह भारत में आ सकती है. अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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फास्टैग

फास्टैग की जगह टोल टैक्स की नई तकनीक –

टोल टैक्स की आने वाली तथा नई तकनीक की बात करें, तो यह जीपीएस ट्रैंकिंग है. कुछ यूरोपीय देशों में इस तकनीक का प्रय़ोग सफल हो चुका है तथा इसका प्रयोग किया जा रहा है. इसके साथ ही इस तकनीक के पूरे नाम की बात करें, तो इसे “सैटेलाइट नेविगेशन टोलिंग सिस्टम ” कहा जाता है. सरकार की तरफ से 2020 में दिल्ली मुंबई गलियारे में कमर्शियल ट्रकों में आन बोर्ड यूनिट और इसरो के नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मद्द से एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो सफल भी रहा. इस तकनीक को लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार तेजी से आगे बढ़ भी रही है. इसके लिए केद्र सरकार की तरफ से इससे संबंधित कुछ टेस्ट शुरू भी कर दिये हैं.

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फास्टैग

जब भारत में इस तकनीक को लागू किया जाएगा, तो इसके लिए हमारी परिवहन नीति में भी बदलाव करने की आवश्यकता होगा. इसी कारण इसके लिए विशेषज्ञों की टीम परिवहन नीति में बदलाव के प्रस्ताव बिंदुओं पर काम कर रही हैं. इस तकनीक को लागू करने के लिए केंद्र सरकार रूस और दक्षिण कोरिया के कुछ विशेषज्ञयों की सहायता से रिपोर्ट भी तैयार करवा रही है. जिससे इस तकनीक को लागू करने में परेशानी ना हो तथा इसके कितने सटीक परिणाम है, उसकी जानकारी हासिल हो सके.

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देश के केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा है कि देश में कहीं भी 2 टोल प्लाजा की दूरी 60 किलोमीटर से कम नहीं होगी. अगर ऐसा होगा , तो बीच के टोल प्लाजा को हटा दिया जाएगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि जर्मनी में भी इस तकनीक से टोल टैक्स का संग्रह होता है. यह टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि रोड़ पर गाड़ी कितने किलोमीटर चली है.

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