देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए बहुत कठिन तपस्य की थी लेकिन आप उस पवित्र स्थान के बारे में जानते है जहां माँ पार्वती ने यह घोर तपस्य की थी। आपको बता दे देवी पार्वती ने केदारनाथ के पास स्थित गौरी कुंड देवो के देव भगवान शिव को पाने के लिए तपस्य की। पार्वती के तपस्य से खुश होकर शिव ने देवी पार्वती के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार किया। तब देवी पार्वती के पिता हिमालय ने विवाह की तैयारियां शुरु कर दी और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में इनकी शादी हुई। गौरी कुंड की खासियत यह है की यहां का पानी सर्दी में भी गर्म होता है।
आपको बताना चाहेंगे की गौरीकुंड एक प्रसिद्ध तीर्थ है, जो कि उखिमठ से 28 कि.मी और सोनप्रयाग से 5 कि.मी की दुरी पर समुन्द्र तल से 1982 की ऊँचाई पर देवभूमि उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में मन्दाकिनी नदी के तट पर है। यहाँ से केदारनाथ मंदिर की दूरी 14 किलोमीटर है। इस स्थान से केदारनाथ के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है।
भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह रुद्रप्रयाग जिले के एक गांव में हुआ था। जिसे त्रिर्युगी नारायण।कहा जाता है। इस गांव में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित एक मंदिर है जो शिव पार्वती के विवाह का साक्षी बना था। इस मंदिर के प्रांगण में कई चीजें हैं जिनकें बारे में बताया जाता है कि यह शिव पार्वती के विवाह प्रतीक के तौर पर पूजे जाते है। गौरी कुंड की खासियत यह है की यहां का पानी सर्दी में भी गर्म होता है। यह दर्शाता है की यह पवित्र स्थल दिव्य शक्तियों से लैस है।