भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ पर स्थित है ?

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भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ पर स्थित है ?
भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ पर स्थित है ?

भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ पर स्थित है ? ( Where is the Tsunami Warning Center located in India? )

मानव और प्रकृति के बीच संघर्ष की कहानी बहुत ही पुरानी है. जब से मानव अस्तित्व में आया है, तब से प्रकृति के साथ उसका संघर्ष जारी है. इस क्रम में काफी बार मानव को भी सफलता हासिल हुई है. लेकिन किसी बड़ी आपदा के बाद अहसास होता है कि प्रकृति की ताकत बहुत बड़ी है, मानव इससे कभी मुकाबला नहीं कर सकता है. लेकिन फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मानव ने भी प्राकृतिक तौर पर आने वाली आपदाओं से बचाव के लिए ना के बराबर ही सही लेकिन आपदा से बचाव के लिए कुछ कदम जरूर उठाएं हैं. इसी कारण लोगों के मन में आपदाओं से संबंधित कई तरह के सवाल होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ पर स्थित है ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

सुनामी

सुनामी क्या होती है-

भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र के बारे में जानकारी से पहले हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि सुनामी क्या होती है. अगर साधारण शब्दों में बात करें, तो समुद्र में किसी हलचल के कारण लहरे काफी ऊचाँई तक उठकर समुद्र तट की तरफ आती है. इसे ही सुनामी कहा जाता है. इसकी वजह से बड़े स्तर पर समुद्र तट पर रहने वाले लोगों तथा मछुआरों को नुकसान होता है. इसके अलावा तटीय क्षेत्रों के आस-पास बनाए गए भवन इत्यादी को भी बहुत नुकसान होता है. ऐसी ही एक सुनामी 26 दिसंबर, 2004 को आई थी. जिसमें 2 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इस सुनामी के पीछे हिंद महासागर में आया भूकंप था. जिसकी तीव्रता 8.9 मापी गई थी.

सुनामी

भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र कहाँ और इसका महत्व-

भारत में सुनामी चेतावनी केंद्र की बात करें, तो इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर (ITEWC) की स्थापना इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन साइंसेज, (INCOIS – ESSO) में की गयी है जो कि हैदराबाद में स्थित है. इसके मुख्य कार्य की बात करें, तो इसका मुख्य काम यह है कि यह समुद्र में होने वाली हलचल के आधार पर तटीय क्षेत्रों में आने वाली किसी सुनामी की आपदा से पहले ही चेतावनी जारी कर देता है. जिसके कारण समुद्र के तटीय इलाकों को खाली करके सुनामी से होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके. 2004 में आने वाली सुनामी के बाद हम इसके महत्व को समझ सकते हैं. उस समय होने वाली इतनी मौतो के पीछे का मुख्य कारण यहीं था कि हमारे पास सुनामी चेतावनी से संबंधित कोई केंद्र नहीं था. जिसकी वजह से यह सुनामी अचानक आई और लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिल पाया.

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हालांकि भूकंप आने के बारे में हम ज्यादा समय पहले अनुमान नहीं लगा सकते हैं. इसके अलावा यह बात भी ध्यान देने की है कि सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते हैं.भूकंप के अलावा काफी बार ज्वालामुखी विस्फोट भी सुनामी का कारण बन सकते हैं. इसी कारण सुनामी चेतावनी केंद्र की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. अगर उनकी चेतावनी गलत साबित होती है, तो उसका ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. इसका कारण यह है कि सुनामी की चेतावनी के बाद तटीय क्षेत्रों से काफी चीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है. इसके अलावा हमारी आपदा प्रबंध टीम भी पूरी तैयारी के साथ वहां लगाई जाती है. इसलिए अब समय की जरूरत यह है कि सभी देश सुनामी वार्निंग सिस्टम से प्राप्त जानकारी को अपने पडोसी देशों को उपलब्ध कराएँ ताकि जान माल की क्षति को कम किया जा सके.

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