जब बात आती है हसी मज़ाक की तो, हम लालू प्रसाद यादव को कैसे भूल सकते है

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वैसे तो हसाने के लिए पूरा हिंदी सिनेमा पड़ा हुआ है। यहां तक की टीवी में कई हास्या कलाकर आते है और आपको हसा के चले जाते है। लेकिन राजनीति एक ऐसी किस्म की चीज है जहां पर आप हंसी मज़ाक के बारे में सोच भी नहीं सकते है। लेकिन लालू प्रसाद यादव इस मामले में राजनीति में हमें इतना हसाते है की हम हिंदी सिनेमा को भी भूल जाते है।

ऐ अच्छे दिन कहां है, बुडबक ।।

राजनीती में कौन बूढ़ा हुआ है आजतक लालूजी ।।

याद है मोदी जी, 15 लाख रुपए ।।

नहीं पूछेंगे दोबारा लालूजी ।।

वैसे लालू जी खाने के बहुत शौकीन है ।।