एड्स की खोज कब और किसने की थी ?

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एड्स की खोज कब और किसने की थी ?
एड्स की खोज कब और किसने की थी ?

एड्स की खोज कब और किसने की थी ? ( When and who discovered AIDS? )

एड्स बीमारी के बारे में आपने कभी ना कभी जरूर सुना होगा. इसकी वजह से लाखों की संख्या में लोगों को अपनी जाने गंवानी पड़ी हैं. इससे बचने के लिए सरकार लगातार लोगों को जागरूक भी करती है. लोगों के मन में अनेंक बीमारियों के उपचार या उनकी शुरूआत से संबंधित कई तरह के सवाल होते हैं. जाहिर से बात है एड्स जैसी बीमारी के बारे में जानने की लोगों के अंदर बहुत जिज्ञासा होती है. इसी कारण इससे संबंधित कई तरह के सवाल लोगों के मन में होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर लोगों के मन में होता है कि एड्स की खोज कब और किसने की थी ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है या आप इसका जवाब जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

एड्स

एड्स की खोज कब और किसने –

वैसे तो इस बीमारी के पहले मामले के बारे में अलग अलग बाते बताई जाती हैं. लेकिन अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) के अनुसार एड्स का पहला मामला 1981 में आया था. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस जानलेवा बीमारी की शुरूआत किंशासा शहर से हुई थी. इस बीमारी की पहचान 1981 में हुई थी. डॅाक्टर माइकल गॅाटलीब ने पांच मरीजों में एक अलग ही तरह का निमोनिया पाया. इसके बाद 1986 में पहली बार एड्स को HIV ( Human immunodeficiency virus ) का नाम दिया गया. इस गंभीर बीमारी से बचने में जागरूकता हमारा बहुत बड़ा हथियार है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1986 से प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया, ताकि इससे लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके.

एड्स

HIV और एड्स में अंतर-

काफी बार हमने HIV एड्स इन दोनों शब्दों को साथ प्रयोग करते हुए देखा होगा. लेकिन ये दोनों शब्द एक नहीं है. अगर इन दोनों में अंतर की बात करें, तो HIV एक वायरस होता है, जो हमारे शरीर की सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है. जिसमें यह वायरस पाया जाता है, उसको यदि मामूली सी भी चोट लग जाती है, तो उससे उभरना मुश्किल हो जाता है. यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है. एक बार होने के बाद इस वायरस को कभी भी हमारे शरीर से हटाया नहीं जा सकता. इस वायरस से पीडित व्यक्ति में एड्स होने की संभावना बड़ जाती है. अगर वह इसका समय पर उपचार नहीं करवाता है. ऐसा नहीं है कि एचआईवी वायरस से पीडित होते ही एड्स हो जाती है. व्यक्ति में यह वायरस आने के बाद भी एड्स बनने में 7-8 साल का वक्त लग सकता है.

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इससे बचने के लिए हम कुछ उपाय भी अपना सकते हैं. जैसे- अपने जीवन साथी के साथ वफादार रहना. एक से अधिक से यौन संबंध रखने से इसके होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर कोई इस बीमारी से पीड़ित है, तो उसको अपने साथ को इसकी जानकारी देनी चाहिए, नहीं तो वह भी इससे पीड़ित हो सकता है. इसके साथ ही इंजेक्शन लगवाते समय पहले इस्तमाल की हुई सूई का इस्तमाल ना करें. जो इससे पीड़ित हैं, उनको रक्त दान नहीं करना चाहिएं. अगर आपको रक्त की आवश्यकता है, तो पहले उसकी जांच करवाकर की खून चढ़वाएं. ऐसी काफी सावधानियां है, जिनको अपनाकर हम इस गंभीर बीमारी से खुद को बचा सकते हैं.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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