बुद्धा के सिर पर बालों का गुच्छा और माथे पर बिंदी का चिह्न का क्या मतलब है?

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भारत से निकला बौद्ध धर्म की उत्पत्ति ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले हुई थी। दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे कई देशों में रहते हैं। बौद्ध धर्म के संस्थापक थे गौतम बुद्ध. इन्हें एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई. पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। आपको वतन चाहेंगे कि विश्व में सबसे ज्यादा मूर्तियां महात्मा बुद्ध की बनी हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की बुद्धा के सिर पर बालों का गुच्छा और माथे पर बिंदी का चिह्न का क्या मतलब है?

उनके सिर पर बना बालो का गुच्छा एवं माथे का बिन्दीनुमा चिन्ह उष्णीष के तोर पर जाना जाता है। उष्णीष का मतलब संस्कृत में पगड़ी भी होता है , पहली शताब्दी में गांधार मूर्ति कला में पहली बार बुद्ध के सिर पर उष्णीष देखने को मिला था। उष्णीष का अर्थ कुछ बौद्ध विद्वानों के अनुसार एक प्रकार का मानसिक एवं मस्तिष्कीय विकास भी जाना जाता है।

जिसके कारण बुद्ध यह हिस्सा अधिक विकसित हो गया और वह ऊपर को उभर गया ,जो उनके विशेष प्रज्ञावान होने का प्रतीक है। माथे का बिन्दीनुमा चिन्ह, तीसरी आँख खुलने का प्रतीक है या विस्तृत दृस्टि का। इस बिन्दीनुमा चिन्ह को ऊर्णा भी कहा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि सिर पर बना बालो का गुच्छा एवं माथे का बिन्दीनुमा चिन्ह मूर्तिकारों की कल्पना भी हो सकती है। इसके सन्दर्भ में बहुत से तर्क सामने आया है लेकिन सटीक अर्थ अभी तक सामने नहीं आया है।

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