झाँसी में मुस्लीमों का क्या इतिहास है

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झांसी का इतिहास
झांसी का इतिहास

झाँसी भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश में स्थित एक जिला है. झाँसी शब्द मात्र से ही लोगों के सामने शौर्य , वीरता , देशभक्ति एवं त्याग का भाव जगाने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का चित्र आ जाता है. यहाँ के दुर्ग , पत्थरों का सीना पार करती हुई खूबसूरत नदियां, प्राचीन मूर्तियों, विभिन्न महलों एवं मंदिरों के भग्नावेष अतीत की गौरव की कहानी कहते हैं. झाँसी का अपना पुराना इतिहास रहा है.

झाँसी रेलवे स्टेशन

झाँसी को इतना महत्वपूर्ण शहर बनाने में यहां की धर्म से उपर उठकर मिलके काम करने की भावना ने बहुत महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई है. मुस्लीम समुदाय ने झाँसी के विकास में इतिहास में महत्तवपूर्ण योगदान दिया है. अगर हम झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की बात करें तो मुस्लीम समुदाय पर उसे बहुत भरोसा था. झाँसी की रानी के विश्वासपात्रों में एक बांदा स्टेट के नवाब अली बहादुर भी (द्वितीय) भी थे. रानी लक्ष्मीबाई और उनका भाई-बहन का रिस्ता था. इसके साथ ही जब रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अधिकार के लिए अंग्रेजों से लड़ाई की तो उसमें बांदा स्टेट के नवाब अली बहादुर (द्वितीय) इस लड़ाई में उनके साथ थे. रानी लक्ष्मीबाई के वीर गति को प्राप्त होने के बाद उसका अंतिम संस्कार भी उसके इसी मुँह बोले भाई ने किया था.

मुस्लिम समुदाय

किसी भी विपदा के समय झाँसी में हिंदू और मुस्लीम समुदाय ने एक दूसरे का सहयोग किया. भाई बहन के रिश्ते की जो शुरूआत झाँसी की रानी और नवाब अली बहादुर (द्वितीय) ने की थी. झाँसी के लोग आज भी उस सद्भावना का परिचय देते हैं. आज भी काफी हिंदू बहने मुस्लिम भाईयों को राखी बाँधती हैं. वहाँ के लोग आज भी इस परंपरा को निभाते आ रहें हैं.

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किसी शासक के तौर पर तो मुस्लीम समुदाय का झाँसी में कोई विशेष इतिहास नहीं है. लेकिन सहयोग और झाँसी को ऐतिहासिक बनाने और सद्भावना के उदाहरण के तौर पर मुस्लीम समुदाय का बहुत महत्तवपूर्ण इतिहास रहा है.