किसान और गरीब में क्या अंतर है

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किसान और गरीब
किसान और गरीब

किसान और गरीब में अंतर जाने से पहले हम किसान और गरीब इन दोनों शब्दों को अच्छे से जान लेते हैं. साधारण शब्दों में जानें तो जो व्यक्ति कृषि कार्यों से जुड़ा हुआ है. वह किसान होता है. फिर इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उसके पास कितने पैसे हैं, वो विलासिता का जीवन जी रहा है या अपनी जरूरते भी पूरी नहीं कर पा रहा. अगर गरीब की बात करें तो गरीब को व्यवसाय के आधार पर नहीं बांटा जाता. जो व्यक्ति कोई भी काम कर रहा है, लेकिन यदि वह अपनी रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत पूरी नहीं कर पाता तो हम उसे गरीब मानेगें.

किसान

अगर कोई गरीब है, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह किसान ही होगा तथा यदि कोई किसान है उसका मतलब भी यह नहीं होता की वह गरीब ही होगा. लेकिन कृषि भारत में प्राचीन काल से की जा रही है तथा भारत देश एक कृषि प्रधान देश रहा है. किसानों के हालात कभी भी बेहतर नहीं रहें. आमतौर पर ज्यादात्तर किसान वर्तमान समय में भी गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

गरीब

किसान और गरीब अलग-अलग शब्द हैं. लेकिन हकिकत को देखे तो किसान और गरीब में बहुत करीबी रिस्ता रहा है. प्राचीन और मध्यकालिन भारत के इतिहास में कृषि पर बहुत अधिक निर्भरता रही है. लेकिन उस समय भी किसानों पर कर का इतना बोझ था कि वो गरीब ही रहे.

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वर्तमान समय में भी किसान और गरीबी का रिस्ता ज्यों का त्यों बना हुआ है. कुछ बड़े किसानों को छोड़ दे तो ज्यादात्तर किसानों को गरीबी का जीवन ही जीने पर मजबूर होना पड़ रहा है. सरकार द्वारा किसानों और गरीबों के हालात सुधारने के लिए अनेंक योजनाएं लाई जाती है. लेकिन वर्तमान हालात को देखकर तो यहीं कहा जा सकता है कि ये सब पर्याप्त नही हैं.