नैनो टेक्नोलॉजी क्या है इसकी खोज किसने और कब की ? ( what is nanotechnology Who discovered and when? )
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है इसकी खोज किसने और कब की ? ( what is nanotechnology Who discovered and when? )

नैनो टेक्नोलॉजी क्या है इसकी खोज किसने और कब की ? ( what is nanotechnology Who discovered and when? )

नैनो टेक्नोलॉजी- वर्तमान समय में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है. नई नई तकनीक हमारे सामने आ रही है. जिनके बारे में काफी लोगों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है. इसका कारण यह है कि जितना विज्ञान तरक्की करता है , उतना कहीं ना कहीं हमारे जीवन में उसका सीधा प्रभाव पड़ता है. इसकी कारण तकनीकों से संबंधित लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि नैनो टेक्नोलॉजी क्या है इसकी खोज किसने और कब की ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

नैनो टेक्नोलॉजी
नैनो टेक्नोलॉजी

नैनो टेक्नोलॉजी क्या –

किसी भी तकनीक के बारे में जानने से पहले हमारे लिए यह जानना आवश्यक होता है कि आखिर वह नकनीक है क्या. अगर नैनो टेक्नोलॅाजी की बात करें, तो इस तकनीक के द्वारा किसी भी पदार्थ में परमाणु , आणविक और सुपरमॅालीक्यूलर स्तर पर परिवर्तन किए जाते हैं. यह तकनीक अणुओ और परमाणुओं की एक इंजिनियरिंग है. जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है. अगर नैनो टेक्नोलॅाजी शब्द की बात करें, तो यह शब्द प्रोफेसर नोरियो तानिगुची ने दिया था. अगर इसको बिल्कुल ही साधारण शब्दों में समझने की कोशिश करें, तो हम कह सकते हैं कि छोटी से छोटी सूक्ष्म मशीने बनाना ही नैनो टेक्नोलॅाजी है. अगर स्वास्थ्य के क्षेत्र की बात करें, तो ये मशीने इतनी सूक्ष्म होती हैं, जो इंसान के जिस्म में उतर कर, उसकी धमनियों में चल-फिर कर वहीं रोग का ऑपरेशन कर सकें.

नैनो टेक्नोलॉजी क्या है
नैनो टेक्नोलॉजी

नैनो टेक्नोलॅाजी का इतिहास –

अगर आधुनिक नैनो टेक्नोलॅाजी की शुरूआत की बात करें, तो इसमें 1981 में हुए स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप के आविष्कार ने मिल के पत्थर का काम किया. इसके बाद 1986 में ड्रेक्सलर ने Foresinght Institute की स्थापना की. जिसका उद्देश्य नैनो टेक्नोलॅाजी के बारे में जागरूकता फैलाना तथा इसकी समझ बढ़ाना था. हैरी क्रुटो , रिचर्ड स्मली और रॅाबर्ट कर्ल द्वारा Fullerenes : C60 की खोज की गई . रसायन के क्षेत्र में इस खोज के लिए इनको 1996 में नोबल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. शुरूआत में Fullerenes : C60 को नैनो टेक्नोलॅाजी की जगह कार्बन नैनो ट्यूब कहा जाता था. कार्बन नैनो ट्यूब की खोज का श्रेय सुमियो इजीमा को दिया गया. इस खोज के कारण नैनो सांइस के क्षेत्र में इनको 2008 में कावली पुरूस्कार से सम्मानित किया गया.

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नैनो टेक्नोलॅाजी बहुत ही सूक्ष्म होती है. आम इंसान के लिए इसकी कल्पना करना भी मुश्किल होता है. अगर हम नैनोमीटर की बात करें, तो यह एक मीटर का एक बिलियन वां हिस्सा होता है. अगर एक इंच में 25,400,000 नैनोमीटर होते हैं. अगर अखबार की मोटाई से नैनोमीटर से तुलना करें, तो अखबार की एक शीट की मोटाई 100,000 नैनोमीटर होती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नौनोटेक्नोलॅाजी कितने सूक्ष्म स्तर पर काम करती है. वर्तमान समय में इसका महत्व बढ़ता जा रहा है. इसका प्रयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र , ऊर्जा के क्षेत्र , पर्यावरण के क्षेत्र इत्यादी में किया जाता है.

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