क्या राम मंदिर का ताला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने खुलवाया था?

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अयोध्‍या के बारे में बहुत कथाएं प्रचलित है. उन्‍हीं में एक है 1986 में राममंदिर का ताला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former PM Rajiv Gandhi) ने खुलवाया था. वीएचपी ही नहीं बीजेपी ने भी राम मंदिर को अपने एजेंडे में शामिल कर लिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बीजेपी को मात देने के लिए राम मंदिर के शिलान्यास की अनुमति दे दी. नारायण दत्त तिवारी उस समय सूबे के मुख्यमंत्री थे.

नवंबर 1989 को वीएचपी सहित तमाम साधु-संतों ने राम मंदिर का शिलान्यास किया. 1989 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत राजीव गांधी ने आयोध्या से की. इसके बाद राम मंदिर के समर्थन में भीड़ जुटाने केलिए बीजेपी ने अपना अभियान शुरू कर दिया.पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताला खुलवाकर अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राम मंदिर आंदोलन को आधार दिया, तो तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह की एक अहम सलाह ने जन्मभूमि की जमीन हासिल करने की राह आसान कर दी।

राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद राजीव गांधी ने अयोध्या से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की और देश में राम-राज्य लाने का वादा किया. ये बात लंबे वक्त तक राज ही रही कि आखिर राम मंदिर का भूमि पूजन कैसे हो गया? ये कोर्ट के आदेश के खिलाफ था. जब राम मंदिर का आंदोलन तेजी पकड़ने लगा और राजीव गांधी ने ताला खुलवाया तब सरकार के गृह मंत्री बूटा सिंह ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता दिवंगत शीला दीक्षित के जरिए विहिप के अशोक सिंघल को संदेश भेजा था कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल किसी केस में जमीन का मालिकाना हक नहीं मांगा गया है और ऐसे में उनका केस हारना लाजिमी है।

1989 में भूमि पूजन का फैसला लिया गया. राजीव गांधी को जिस तरह से राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए राज़ी किया जा रहा था, उस बात को याद करना आज बेहद अहम है. भूमि पूजन के ठीक एक हफ्ते पहले राजीव गांधी की मुलाकात मशहूर धर्म गुरू देवरहा बाबा से करवाई गई थी.

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कांग्रेस नेता कमलनाथ कह रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साल 1985 में मंदिर का ताला खोल दिया था. उन्होंने 1989 में ही शिलान्यास की बात कही थी, लेकिन हम इसे राजनीतिक मंच पर नहीं लाए. राजनीतिक मंच पर धार्मिक भावना नहीं लानी चाहिए. कांग्रेस ने मंदिर पर कोर्ट के फैसले का सम्मान किया.

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