‘निष्पक्ष नहीं है द लैंसेट’, कोविड-19 पर मोदी सरकार की आलोचना करने वाले जर्नल को केंद्रीय मंत्रियों ने लताड़ा
हाइलाइट्स:
- ‘द लैंसेट’ में 8 मई को छपा था मोदी सरकार की आलोचना करता संपादकीय
- ‘भारत का कोविड-19 आपातकाल’ था शीर्षक, अब एक प्रफेसर ने दिया जवाब
- केंद्रीय मंत्री शेयर कर रहे लिंक, हर्षवर्धन बोले- असंतुलित था लैंसेट का संपादकीय
- सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर हैं केंद्रीय मंत्री, कई ने लगाई लताड़
नई दिल्ली
पिछले दिनों मशहूर मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में एक संपादकीय छपा था जिसमें भारत सरकार के कोविड-19 अप्रोच की आलोचना की गई थी। अब केंद्रीय मंत्रियों ने उस संपादकीय को ‘पक्षपाती’ बताता एक विशेषज्ञ का निजी ब्लॉग साझा किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई मंत्रियों ने टाटा मेमोरियल सेंटर के प्रफेसर पंकज चतुर्वेदी की तरफ से ‘द लैंसेट’ को दिया गया जवाब शेयर किया है।
डॉ हर्षवर्धन ने लिखा है कि प्रफेसर चतुर्वेदी का लेख “8 मई को द लैंसेट में ‘भारत का कोविड-19 आपातकाल’ शीर्षक से छपे असंतुलित संपादकीय का सही जवाब है। जहां भारत में कोविड का संकट कई गुना बढ़ गया था, यह बेहद महत्वपूर्ण था कि एक सम्मानित जर्नल राजनीतिक रूप से निष्पक्ष रहता।” प्रफेसर चतुर्वेदी का लेख शेयर करते हुए सीतारमण ने लिखा है कि ‘ऐसा लगता है कि द लैंसेट का संपादकीय केवल भारत को दुनियाभर में बदनाम करने और मीडिया अटेंशन तथा ट्विटर पर ट्रेंड करने के लिए था।’
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ट्विटर पर लेख साझा कर घिरे केंद्रीय मंत्री
जिन मंत्रियों ने प्रफेसर चतुर्वेदी का यह लेख साझा किया है, खासकर डॉ हर्षवर्धन, उन्हें ट्विटर यूजर्स के गुस्से का सामना करना पड़ा है। अभिजीत नाम के एक यूजर ने लिखा कि ‘हमारे स्वास्थ्य मंत्री यह मानते हैं कि किसी ब्लॉग पर छपा लेखा दुनिया के सबसे पुराने पीअर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल द लैंसेट को जवाब दे सकता है। वह भी ऐसे ब्लॉग का जिसमें एक बिल्ली की तस्वीर लगी है।’ अमित ने कहा कि ‘एक निजी ब्लॉग के जरिए दुनियाभर में मशहूर मेडिकल जर्नल को जवाब? आगे क्या, टम्बलर की पोस्ट?’
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी यही ब्लॉग शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘पढ़िए और खुद तय कीजिए।’ बीजेपी आईटीसेल के मुखिया अमित मालवीय ने प्रफेसर चतुर्वेदी के लेख को शेयर करते हुए इसे द लैंसेट को ‘चुभने वाला’ बताया है। बहुत सारे यूजर्स ने लिखा है कि देश के स्वास्थ्य मंत्री का यूं ही किसी के ब्लॉग को ‘द लैंसेट’ के संपादकीय का जवाब बता देना ‘शर्मिंदगी’ भरा है।
द लैंसेट vs प्रफेसर चतुर्वेदी : प्रमुख बातें
- द लैंसेट ने लिखा था कि राज्य सरकारों ने संक्रमण रोकने की कोशिशें शुरू की हैं लेकिन जनता को कोविड से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताने में केंद्र सरकार की अहम भूमिका है। इसके जवाब में प्रफेसर चतुर्वेदी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने लंबे समय तक कोविड जागरूकता अभियान चलाया और एक डेडिकेटेड पोर्टल https://www.mygov.in/covid-19 भी बनाया।
- द लैंसेट ने लिखा था कि भारत सरकार ने कोविड महामारी की दूसरी लहर की चेतावनियों- चुनाव, कुम्भ वगैरह पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा भयावह रहा। इसपर प्रफेसर चतुर्वेदी ने लिखा है कि संपादक बताए कि भारत कब सुरक्षित ढंग से चुनाव करा सकता था। प्रफेसर ने कुम्भ मेला आयोजन का भी बचाव करते हुए दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में जनसंख्या घनत्व के आंकड़े पेश किए।
- मेडिकल जर्नल ने लिखा था कि सरकार महामारी को नियंत्रण में करने से ज्यादा ट्विटर से आलोचना हटाने को लेकर उत्सुक दिखी। अपने लेख में प्रफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि संपादकीय केवल मीडिया अटेंशन पाने और ट्विटर पर ट्र्रेंड होने के लिए लिखा गया था। मकसद पूरी दुनिया में भारत को बदनाम करना था।
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