Tourism day : पर्यटन दिवस पर जानिए एरण की व्यथा, जिसे होना था विश्वविख्यात, उसका महत्व आसपास के लोग नहीं जानते

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Tourism day : पर्यटन दिवस पर जानिए एरण की व्यथा, जिसे होना था विश्वविख्यात, उसका महत्व आसपास के लोग नहीं जानते

सागर

आज हम इसलिए अचानक एरण (Eran) की बात कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रीय पर्यटन दिवस (National Tourism Day) पर तो कम से कम भुला दिए गए इस स्थान की चर्चा की जा सकती है। आज़ादी के 75 साल बाद भी एरण को पर्यटन स्थलों के बीच उसका (विश्वधरोहर) होने का वह स्थान नहीं मिल सका है जिसका वह अधिकारी है। अमृत महोत्सव में भी मानव इसिहास का आईना बना बैठा एरण उपेक्षा झेल रहा है। यहां वह सब है जो विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन यहां पहुंचना, रहना और आधुनिक संसाधनों के आदि पर्यटकों के अनुकूल होटल, रिसोर्ट, कैंपिंग बोटिंग आदि के लिए पैकेजिंग नहीं है। राजनैतिक हितों और अधिकारियों की उदासीनता ने ऐरण को कभी पर्यटकों की पहुंच तक नहीं आने दिया।

सागर जिले में स्थित एरण में पुरापाषाण काल में आज से एक लाख साल पहले भी मनुष्य रहता था। इसका सबूत है यहां मौजूद खानाबदोश प्राचीन मानव के शिकार करने के पत्थर की कुल्हाड़ियां मांस निकलने वाली पत्थर की खुरपिया ब्लेड़ें। क्रमिक विकास की गाथा ताम्रपाषाण काल के तांबे से बने औज़ार, बर्तन आदि भी कहते हैं। जो यहां मौजूद हैं, यहां करीब 5 हजार साल पुरानी मिट्टी की दीवाल सभ्यताओं को आज संजोए हुए है। सिक्के, मुहरों से लेकर 510 साल पुराना पहला सती स्तंभ भी यहां मौजूद है। लेकिन उस तक पहुंचने का रास्ता नहीं बन सका।

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बीते दिनों सती स्तंभ को पुनः स्थापित करने आए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंडल जबलपुर के अधीक्षण पयरतत्वविद डॉ शिवकांत वाजपेयी का कहना था कि एरण में मौजूद मूर्तियों एवं स्तंभों के संरक्षण का कार्य शुरू किया है। जिला प्रशासन से यहां के विकास के लिए चर्चा करेंगे।

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कमाल का इतिहास

एरण मध्य प्रदेश के सागर जिले में विदिशा के निकट बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यहां नदी का चौड़ापाट प्राकृतिक सुदरता हर तरह से पर्यकटों को लुभाने का माद्दा रखती हैं। वर्तमान सरकारें जिस बात को नहीं समझ पाईं, उसे डेढ़ हजार साल पहले समुद्रगुप्त ने समझ लिया था। पाटीली पुत्र से इतनी दूर एरण को अपने घूमने फिरने रहने के हिसाब से नगर बनाया था। जो तब से लेकर आज तक है। शासकों की बात करें तो शक, गुप्त शासकों के इतिहास और बर्बर ह्रूंणों के आक्रमणों को झेल चुका एरण अब तक चीख चीख कर भारत के इतिहास की गवाही दे रहा है। पुरातत्व विभाग इसकी एहमियत समझता है कि एरण क्या है और कितनी प्राचीन धरोहर है। हाल ही में यहां 1700 साल पुराने सती स्तंभ को स्थापित किया गया है जो 70 साल से वहां पड़ा हुआ था।
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ब्रिटिश काल

सन् 18 सो 38 में अंग्रेजी अफसर पीएस बर्थ ने ऐसे स्थान की खोज की तब से लेकर आज तक यह चर्चाओं में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जनक अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1874 में यहां सर्वेक्षण किया था।

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