भारत में सदियों से देखा जाता है कि जब भी किसी दंपति के संतान नहीं होती है, तो सबसे पहले पत्नी को दोषी ठहराया जाता है और उसे बाँझ जैसे ताने दिए जाते है। छोटे कस्बो और शहरों की बात करे तो पुरुषो की जांच तक नहीं करवाते और सारा दोष महिला पर मढ़ दिया जाता है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में महिलाओं की तुलना में पुरुषो में नि:संतानता के मामले बढ़े है । इसके पीछे तेज़ी से हो रहे शहरीकरण, मिलावट की वजह से तमाम रसायनों का शरीर में जाना, तनाव, जरूरत से ज्यादा काम, तेज़ लाइफ स्टाइल और देरी से शादी होना बड़े कारण है।
शुक्राणु कम होने के मुख्य कारण
गर्मी भी है हानिकारक
ऐसे व्यक्ति जो सीधे गर्म वातावरण के सम्पर्क में रहते है तथा काम करते है- जैसे हलवाई, सुनार, जहा भट्टी की गर्मी से अंडकोष में शुक्राणु की संख्या में गिरावट देखी गई है।
बचपन में ध्यान न रखना
बच्चो में देखे कि दोनों अंडकोष थैली में है या नहीं अन्यथा कभी-कभी अंडकोष एक अथवा दोनों थैली में नीचे नहीं आते है तथा शरीर कि गर्मी से अंडकोष खराब हो जाते है और वो बच्चे नि:संतानता के शिकार हो जाते है।
जंक फ़ूड है जहर
जंक फ़ूड, रसायन मिश्रित खाद्य पदार्थ, फ़ास्ट फ़ूड का ज्यादा सेवन करने से विटामिन की कमी हो जाती है, जिससे शुक्राणुओं की मोटिलिटी में कमी आ जाती है।
जेब में मोबाइल रखना घातक
मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन तथा निरंतर पैरो पर लैपटॉप रख कर काम करने वाले पुरुषो में भी शुक्राणुओं की कमी तथा नि:संतानता का खतरा रहता है।
नशे से करे परहेज
शराब, धूम्रपान एवं अन्य कोई नशा करने पर भी स्पर्म कम हो जाते है। जरूरत से ज्यादा शराब पिने से स्पर्म की संख्या में कमी आ जाती है।
शादी को प्राथमिकता जरूरी
करियर के चलते शादी की उम्र बढ़ जाने से स्पर्म की संख्या व गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए वक़्त रहते शादी करना ही बेहतर विकल्प है।
मोटापा न बढ़ने दे
पुरुषो की प्रजनन क्षमता महिलाओं के मुकाबले 20 फीसदी कम होती है। ज्यादा वजन से हार्मोनल असंतुलन होता है, इससे स्पर्म बनने में दिक्क्त आती है।