TCS, Infosys और HCL के लिए डराने वाली खबर, 40 परसेंट कमाई खतरे में!

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TCS, Infosys और HCL के लिए डराने वाली खबर, 40 परसेंट कमाई खतरे में!

TCS, Infosys और HCL के लिए डराने वाली खबर, 40 परसेंट कमाई खतरे में!


नई दिल्ली: अमेरिका से शुरू हुए बैंकिंग संकट (Banking Crisis) ने यूरोप को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। टीसीएस (TCS), इन्फोसिस (Infosys) और एचसीएल (HCL) जैसी कंपनियों का 40 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) कंपनियों से आता है। महंगाई को रोकने के लिए दुनियाभर के बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे दुनिया की इकॉनमी में सुस्ती हावी हो गई है। इससे भारत की आईटी कंपनियों की मुश्किलें पहले से बढ़ी हुई हैं। अब बैंकिंग सेक्टर ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। अमेरिका और यूरोप सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़े बाजार हैं। देश की टॉप आईटी कंपनियों के लिए बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर उनके लिए सबसे बड़ा वर्टिकल है। फाइनेशियल ईयर 2022 में देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस के कंसोलिडेटेड टर्नओवर में बीएफएसआई का हिस्सा करीब 40 फीसदी था। इन्फोसिस की भी यही स्थिति थी।

बैंकिंग संकट की शुरुआत अमेरिका से हुई। स्टार्टअप कंपनियों को लोन देना वाला सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) रातोंरात डूब गया। इसके बाद नंबर आया सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) का। क्रिप्टो कंपनियों को लोन देने वाला यह बैंक भी बैठ गया। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक (First Republic Bank) भी अंतिम सांसें गिन रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्याज दर बढ़ने से अमेरिका में 186 बैंक डूबने के कगार पर हैं। यूरोप में क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) के शेयरों में सोमवार को बाजार खुलते ही 63 परसेंट गिरावट आई। उसे खरीदने जा रहे यूबीएस (UBS) के शेयर भी शुरुआती कारोबार में 14 फीसदी गिर गए।

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कमाई पर हो सकती है चोट

अमेरिका और यूरोप में बैंकों की हालत खराब होने का असर भारत की आईटी कंपनियों पर भी पड़ सकता है। फाइनेंशियल ईयर 2024 में उनकी कमाई बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। आईटी सेक्टर के दिग्गज और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के पूर्व सीईओ विनीत नायर ने कहा कि यह बता पाना मुश्किल है कि आगे क्या होगा, लेकिन अनिश्चितता के माहौल से नए प्रोजेक्ट पर असर पड़ेगा। इससे कॉस्ट प्रेशर बढ़ेगा। इससे आउटसोर्सिंग बढ़ेगी और मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए भी नए सिरे से मोलभाव हो सकता है। इससे आईटी कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ाएंगी ताकि उनके मुनाफा प्रभावित न हो।

इस स्थिति को देखते हुए एनालिस्ट्स ने फाइनेंशियल ईयर 2024 के लिए आईटी कंपनियों की कमाई के अनुमानों को कम कर दिया है। नोमूरा के एनालिस्ट्स अभिषेक भंडारी और कृष बेरीवाल ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की आईटी कंपनियों का परफॉरमेंस प्रभावित हो सकता है। जब ये कंपनियां मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा करेंगी तो उन्हें इनवेस्टर्स के मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ेगा। आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर भी मानते हैं कि आईटी कंपनियों का रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि सबकुछ सही रहेगा।

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किसकी कितनी हिस्सेदारी

हाल में जेपी मोर्गन (JPMorgan) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वित्तीय संकट से जूझ रहे अमेरिका के बैंकों में सबसे ज्यादा एक्सपोजर भारत की दो बड़ी आईटी कंपनियों टीसीएस (TCS) और इन्फोसिस (Infosys) का है। उनके कुल रेवेन्यू में अमेरिका के रीजनल बैंक्स की हिस्सेदारी 2-3 फीसदी है। सिलिकॉन वैली बैंक में टीसीएस, इन्फोसिस और माइंडट्री (Mindtree) का एक्सपोजर 10 से 20 बेसिस पॉइंट हो सकता है। इसमें टाटा ग्रुप (Tata Group) की कंपनी टीसीएस का एक्सपोजर सबसे ज्यादा है। इन तीनों कंपनियों को सिलिकॉन वैली बैंक में अपने एक्सपोजर के लिए प्रॉविजन करना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक एसवीबी और सिग्नेचर बैंक के डूबने तथा अमेरिका और यूरोप में लिक्विडिटी की चिंताओं बैंक शॉर्ट टर्म में अपने टेक बजट को कम कर सकते हैं। देश की आईटी इंडस्ट्री पहले ही यूरोप और अमेरिका में मैक्रोइकॉनमिक एनवायरमेंट की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के कारण डिमांड कम हुई है। इस कारण कंपनियां टेक्नोलॉजी पर खर्च कम कर रही हैं। बैंकिंग क्राइसिस से स्थिति और बदतर हो सकती है। इस कारण अगली कुछ तिमाहियों में आईटी कंपनियों का रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है।

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