गौरक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त!

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गौरक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त!
गौरक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त!

लंबे समय से गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी के मामलें सामने आ रहे है। जिसे रोकने के लिए सरकार और प्रशासन कई तरह के हथकंडे अपनाते दिखे, लेकिन बार बार उनके हथकंडे असफल ही साबित हुए। मामलें पर सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सख्त नजर आ रहा था, लेकिन अब कोर्ट ने एक ऐसा फरमान सुनाया है, जिससे गौरक्षकों की गुंडागर्दी पर लगाम लगाई जा सकती है। जी हाँ, सुप्रीम कोर्ट अब गौरक्षा के नाम पर होने वाली गुंडागर्दी को रोकने के लिए कदम उठा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षकों के लिए क्या कहा है, आइये आपको रूबरू कराते है…

आपको बता दें कि गौरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा हिंसा पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने राज्यों में मॉब लिंचिंग पर रोक लगाएं। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि भीड़ द्वारा हिंसा के मामलों के लिए टास्क फोर्स तैयार करें, जिसके लिए कोर्ट ने सभी राज्यों को एक सप्ताह का वक्त दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिये….

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षा के नाम पर होने के वाली हिंसा को रोकने के लिए एक आदेश दिया है। कोर्ट ने सभी राज्यों को एक टास्क फोर्स तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इस टास्क फोर्स में एक सीनियर पुलिस अधकारी की नियुक्ति होगी। साथ ही आपको यह भी बता दें कि यह अधिकारी नोडल ऑफिसर होगा जो सुनिश्चित करेगा कि राज्य के किसी भी ज़िले में हिंसा न हो। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नोडल ऑफिसर राज्य के हाईवे पर पैट्रोलिंग सुनिश्चित करेगा ताकि हाईवे पर हिंसा न हो।

मामलें की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी…
कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि मामलें की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी, जब तक सभी राज्य टास्क फोर्स तैयार कर लें।

जानियें, और क्या कहा कोर्ट ने….
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि कुछ ऐसा जरूर करना चाहिए ताकि लोग कानून को अपने हाथ में न ले सकें। साथ ही दीपक मिश्रा ने यह भी कहा कि केंद्र कहता है कि यह राज्यों का मामला है और राज्य कोई कदम नहीं उठा रहे हैं, इसे रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी है”।


क्या है पूरा मामला…

आपको बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 अप्रैल को 6 राज्यों से इस संबंध में जवाब मांगा था, लेकिन जवाब नहीं दिया गया। साथ ही यह याचिका पिछले साल 21 अक्टूबर को दायर की गई थी। आपको याद दिला दें कि 21 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को शरण न दें और इस पर कड़ी कार्रवाई करें। लेकिन राज्य सरकार कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करते हुए नजरअंदार कर दिया, जिसके बाद मामलें में सुप्रीम कोर्ट को ही संज्ञान लेना पड़ा।