Sri Lanka Crisis: लुटेरे चीन के लिए ‘डूबता जहाज’ बने श्रीलंका-पाकिस्तान, भारत ने खजाना खोल निभाया पड़ोसी धर्म h3>
कोलंबो: चीन के कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका और पाकिस्तान त्राहिमाम कर रहे हैं। श्रीलंका जहां आर्थिक तबाही से जूझ रहा है, वहीं पाकिस्तान को भी कभी भी बर्बाद होने की चिंता सता रही है। संकट में फंसे श्रीलंका की गुहार पर भारत सरकार ने अरबों डॉलर की मदद देकर पड़ोसी धर्म निभाया है लेकिन इन दोनों देशों को लूटने वाला चीन अब इन्हें ‘डूबता जहाज’ मान चुका है और उनसे किनारा कर रहा है। वह भी तब जब अमेरिका लंबे समय से आरोप लगा रहा है कि चीन अपनी ‘कर्ज कूटनीति’ की चाल से विकासशील देशों को ड्रैगन पर निर्भर बना रहा है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और श्रीलंका रेकॉर्ड महंगाई से जूझ रहे हैं लेकिन उनका ‘दोस्त’ चीन अब अपना खजाना खोलने के लिए राजी होता नहीं दिख रहा है। चीन ने अभी तक यह वादा नहीं किया है कि वह पाकिस्तान को 4 अरब डॉलर का लोन फिर से जारी करेगा जिसे पाकिस्तान ने मार्च में वापस लौटाया था। यही नहीं श्रीलंका ने चीन से 2.5 अरब डॉलर का क्रेडिट सपोर्ट मांगा है लेकिन अभी तक चीन ने उस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
राजनीति में भी हस्तक्षेप से परहेज कर रहा चीन
चीन ने वादा किया कि वह इन दोनों ही देशों की मदद करेगा लेकिन उसका सतर्कताभरा रवैया यह दिखाता है कि शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड प्रोग्राम में संशोधन का संकेत है। साथ ही चीन इन दोनों ही देशों की उठा-पटक से भरी राजनीति में भी हस्तक्षेप से परहेज कर रहा है। पाकिस्तान में नए प्रधानमंत्री आ गए हैं, वहीं श्रीलंका में राजपक्षे सरकार पर इस्तीफा देने के लिए दबाव अपने चरम पर पहुंच गया है।
नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में सीनियर फेलो राफेइलो पंटूसी ने कहा, ‘चीन लंबे समय से अपने विदेशी कर्ज पर फिर से विचार कर रहा है क्योंकि उसके बैंकों को यह अहसास हो गया है कि वे ऐसे देशों को बहुत ज्यादा कर्ज दे चुके हैं जिनके लोन को लौटाने की संभावना बहुत कम है। ऐसा तब हुआ है जब खुद चीन घरेलू स्तर पर आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है और उससे निपटने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत है। यही वजह है कि चीन अब कम पैसा देना चाहता है।’
चीन के लिए डूबता जहाज हैं श्रीलंका और पाकिस्तान
श्रीलंका ने मंगलवार को कहा कि वह आईएमएफ से अपनी बातचीत को तेज करेगा। श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान को अब रोक दिया है ताकि खाना और ईंधन की आपूर्ति के लिए डॉलर बचाए जा सके। वहीं पाकिस्तान की नई सरकार भी आईएमएफ से मदद की गुहार लगा रही है ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सके। हालांकि आईएमएफ इन दोनों ही देशों को लेकर बहुत धीमे-धीमे कदम बढ़ा रहा है। यही वजह है कि चीन भी फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और श्रीलंका रेकॉर्ड महंगाई से जूझ रहे हैं लेकिन उनका ‘दोस्त’ चीन अब अपना खजाना खोलने के लिए राजी होता नहीं दिख रहा है। चीन ने अभी तक यह वादा नहीं किया है कि वह पाकिस्तान को 4 अरब डॉलर का लोन फिर से जारी करेगा जिसे पाकिस्तान ने मार्च में वापस लौटाया था। यही नहीं श्रीलंका ने चीन से 2.5 अरब डॉलर का क्रेडिट सपोर्ट मांगा है लेकिन अभी तक चीन ने उस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
राजनीति में भी हस्तक्षेप से परहेज कर रहा चीन
चीन ने वादा किया कि वह इन दोनों ही देशों की मदद करेगा लेकिन उसका सतर्कताभरा रवैया यह दिखाता है कि शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड प्रोग्राम में संशोधन का संकेत है। साथ ही चीन इन दोनों ही देशों की उठा-पटक से भरी राजनीति में भी हस्तक्षेप से परहेज कर रहा है। पाकिस्तान में नए प्रधानमंत्री आ गए हैं, वहीं श्रीलंका में राजपक्षे सरकार पर इस्तीफा देने के लिए दबाव अपने चरम पर पहुंच गया है।
नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में सीनियर फेलो राफेइलो पंटूसी ने कहा, ‘चीन लंबे समय से अपने विदेशी कर्ज पर फिर से विचार कर रहा है क्योंकि उसके बैंकों को यह अहसास हो गया है कि वे ऐसे देशों को बहुत ज्यादा कर्ज दे चुके हैं जिनके लोन को लौटाने की संभावना बहुत कम है। ऐसा तब हुआ है जब खुद चीन घरेलू स्तर पर आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है और उससे निपटने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत है। यही वजह है कि चीन अब कम पैसा देना चाहता है।’
चीन के लिए डूबता जहाज हैं श्रीलंका और पाकिस्तान
श्रीलंका ने मंगलवार को कहा कि वह आईएमएफ से अपनी बातचीत को तेज करेगा। श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान को अब रोक दिया है ताकि खाना और ईंधन की आपूर्ति के लिए डॉलर बचाए जा सके। वहीं पाकिस्तान की नई सरकार भी आईएमएफ से मदद की गुहार लगा रही है ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सके। हालांकि आईएमएफ इन दोनों ही देशों को लेकर बहुत धीमे-धीमे कदम बढ़ा रहा है। यही वजह है कि चीन भी फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।