इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: सोनिया गाँधी ने पीएम मोदी, कांग्रेस का भविष्य और राहुल की छुट्टियों पर खुलकर चर्चा की

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कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष और पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने एक गहरे आत्मविश्लेषी भाषण में अपने बच्चों, अपनी कमियों और भारत में लोकतंत्र की भूमिका समेत कई विषयों पर लम्बी बात की. पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद यह पहला मौका है जब उन्होंने इस तरह से खुलकर बात की. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उन्होंने साफ तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज़ कसते हुए कहा कि लोकतंत्र में चर्चा और मतभेद दोनों स्वीकार्य हैं, पर एकालाप नहीं. उन्होंने इस बात पर भी खेद जताया कि राष्ट्र निर्माताओं को बदनाम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उसके प्रधानमंत्रियों द्वारा आजादी के बाद हासिल की गई उपलब्धियों की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा लगातार आलोचना किए जाने का संदर्भ देते हुए कहा कि पूर्व की उपलब्धियों को द्वेष के कारण कमतर बताया जा रहा है.

कांग्रेस किसी धर्म से नहीं बंधी

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई मंदिरों का दौरा किया था. तब कहा गया था कि कांग्रेस पार्टी सॉफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड खेल रही है. इस पर सोनिया गांधी ने कहा कि मंदिर जाना चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं था और बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार किया था.

मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जब सोनिया गांधी से पार्टी की विचारधारा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘बीजेपी ने यह प्रचारित किया कि कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है. लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि कांग्रेस में बहुसंख्यक नेता हिन्दू हैं और वह भी अलग-अलग जातियों से आते हैं. पार्टी में मुस्लिम भी हैं, लेकिन कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहना मेरी समझ से परे है.’

कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पर बोलते हुए सोनिया ने कहा कि वो एक कांग्रेसी हैं और पार्टी हमेशा विकास के एजेंडे पर काम करती है. साथ ही सोनिया ने कहा, ‘हमारी कोशिश रहती है कि जो लोग हाशिए पर चले गए हैं, उनके उत्थान के लिए काम किया जाए, गरीबों-पिछड़ों के लिए नीतियां बनाई जाएं.’

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को भी संगठन के स्तर पर लोगों से जुड़ने का एक नया तरीका विकसित करने की जरूरत है. वर्ष 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अपने नेतृत्व की भूमिका पर उन्होंने कहा कि वह जानती थीं कि मनमोहन सिंह उनसे अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे और साथ ही वह अपनी सीमाओं के बारे में जानती थीं.

सोनिया गांधी ने कहा, “ मुझे स्वाभाविक तौर पर भाषण देना नहीं आता इसलिए मुझे नेता (लीडर)के बजाए भाषण पढ़ने वाला(रीडर) कहा जाता था.”  71 वर्षीय सोनिया गांधी19 वर्षों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. पिछले साल पार्टी के आंतरिक चुनाव के बाद उनके बेटे राहुल गांधी ने उनकी जगह ली.

मोदी सरकार से ज़ाहिर की नाराज़गी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए सोनिया गांधी ने कहा ‘सत्ताधारी सरकार की ओर से भड़काऊ बयानबाज़ी न तो अचानक की जा रही है और न ही गलती से. ये एक खतरनाक डिज़ाइन का हिस्सा है. सत्ताधारी पार्टी देश के इतिहास को दोबारा से लिखने और तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने में जुटी हुई है.’ सोनिया ने कहा कि देश में डर और धमकी के खिलाफ उठने वाली आवाजों को खामोश कराया जा रहा है. सोनिया ने दलितों और अल्पसंख्यकों साथ हुई हिंसा की घटनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के लिए समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी ने 2014 में झूठे प्रचार के सहारे सत्ता हासिल की. उन्होंने यह भी माना कि मोदी की मार्केटिंग से कांग्रेस मात खा गई.

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राहुल की अपनी सोच

कॉन्क्लेव के प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान पार्टी के मामलों पर राहुल को सलाह देने के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “ मैं खुद ऐसा नहीं करने की कोशिश करती हूं. राहुल पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वरिष्ठ और युवानेताओं के बीच संतुलनबनाना चाहते हैं, और यह कोई आसान काम नहीं है.”

वहीं सोनिया गांधी ने चुनाव के दौरान हुई मंदिर कोंट्रोवर्सी पर बात करते हुए कहा कि हम हमेशा मंदिर जाते हैं, यहां तक कि राजीव के साथ जब भी हम कहीं जाते थे तो कम से कम एक प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन तो ज़रूर करते थे. लेकिन हमने कभी उसका प्रचार नहीं किया, क्योंकि यह एक सामान्य बात है. राहुल गुजरात में कई मंदिरों में गए, यही कारण था कि लोगों का ध्यान इस बात पर गया. लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये किसी रणनीति का हिस्सा था.

इसके बाद सोनिया गांधी ने पूर्वोत्तर राज्यों में मतों की गिनती के दौरान राहुल के देश में मौजूद नहीं रहने की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव प्रचार करने के बाद वह तीन दिन के लिए इटली में अपनी नानी को देखने गए थे. अपनी बेटी प्रियंका गांधी के राजनीति में आने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ प्रियंका फिलहाल अपने बच्चों की देख- रेख में व्यस्त हैं. यह उनका फैसला है और भविष्य के बारे में कोई नहीं जानता.”