Shiv Sena: उद्धव ठाकरे खेमे को ‘सुप्रीम’ झटका, शिवसेना विधायकों की अयोग्यता का केस बड़ी बेंच में भेजने से इनकार
अब मेरिट के आधार पर होगी सुनवाई
शुक्रवार को शिवसेना विधायकों के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बड़ी बेंच के पास भेजे जाने से इनकार किया है। पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। इनमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। अब 21 फरवरी से उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के दावे पर मेरिट के आधार पर सुनवाई होगी। गुरुवार को संविधान पीठ ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे गुट ने नबाम रेबिया फैसले का हवाला देते हुए कुछ बिंदुओं को सात जजों की बेंच के पास भेजने की मांग की थी। वहीं शिंदे गुट की दलील थी कि इस पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है।
उद्धव ठाकरे खेमे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की थीं। सिब्बल ने नबाम रेबिया जजमेंट केस के हवाले से मामले को सात जजों की बेंच को रेफर करने की अपील की थी। पिछली सुनवाई में भी सिब्बल ने सात जजों के पास केस को रेफर करने की मांग की थी।
नबाम रेबिया केस क्या है
2016 में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने नबाम रेबिया केस में फैसला सुनाया था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर उस सूरत में विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं, जबकि स्पीकर को हटाने की पूर्व सूचना सदन में लंबित है। यानी स्पीकर तब अयोग्यता की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं, जब खुद उन्हें हटाने के लिए प्रस्ताव लंबित हो। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि यह पांच जजों की बेंच तय करेगी कि मामले को क्या बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए?
शिवसेना विधायकों के मामले में अब तक क्या हुआ
महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मामले को संवैधानिक बेंच को रेफर किया था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच ने 23 अगस्त 2022 को इस मामले में अपना फैसला सुनाया था। बेंच ने कहा था कि संवैधानिक बेंच यह तय करेगा कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के क्या अधिकार हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में चार जुलाई 2022 में हुए शक्ति परीक्षण के दौरान इन विधायकों ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया था। फ्लोर टेस्ट के दौरान सिर्फ 15 विधायकों ने उद्धव ठाकरे का समर्थन किया था, वहीं 40 विधायक शिंदे खेमे के साथ थे।