क्या आप तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण से अवगत है?

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हिन्दू मान्यता के अनुसार हमारे माथे पर तिलक लगना काफी शुभ मन जाता है साथ ही यह हमारे मन को शांति भी प्रदान करता है। माथे के बीचों-बीच आज्ञाचक्र होता है। तिलक हमेशा आज्ञाचक्र पर ही लगया जाता है। जो हमारा चेतना केंद्र भी माना जाता है। क्या आपने कभी तिलक लगाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण जाना है? वैज्ञानिक तोर पर भी यह बात स्पष्ट है कि तिलक लगाने से मस्तिष्क में शांति, तरावट तथा शीतलता बनी रहती है। इससे दिमाग में सेटाटोनिन व बीटाएंडारफिन नामक रसासनों का संतुलन होता है तथा मेघाशक्ति का संचलन होता है

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तिलक को सात्विकता का प्रतीक भी माना जाता है। इसे लगाने का उद्देश्य भी अलग -अलग होता है। हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक या कार्य की तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर आवाजाही के उद्देश्य से भी लगाया जाता है।

यह शुभ कार्य की शुरुआत होती है। तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव का प्रतीक समझा जाता है हमारे इष्ट देव की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह की धारणा क ध्यान में रखकर, ताकि मन में उस केन्द्रबिन्दु की स्मृति हो सकें। भारत के अलावा तिलक लगाने शायद ही किसी देश में विख्यात होगा, यह सभ्यता आज की नहीं बल्कि काफी प्राचीन है। अगर किसी पूजा -उपासना में तिलक का उपयोग जाए तो उस दिन पूजा को अधूरा मन जाता है। भारत में पूजा और विशेष कार्यो में तिलक का अहम महत्व होता है।