अगर आपका बैंक खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में है तो उम्मीद है कि आप जल्द ही एक राहत की खबर मिल सुन सकेंगे. सूत्रों से पता चला है कि एसबीआई अपने बैंक खातों में न्यूनतम राशि की सीमा को बदलने परे विचार कर रहा है और इसमें आपके फायदे की बात यह है कि बैंक इस राशि को घटाने वाला है. इतना ही नहीं, वह न्यूनतम राशि मेंटेन न करने पर लगने वाले जुर्माने की राशि पर भी विचार कर रहा है. हाल ही में एक रिपोर्ट आयी थी जिसमे बताया गया था कि बचत खातों में मासिक औसत न्यूनतम राशि नहीं रखने पर ग्राहकों से 1,771 करोड़ रुपये जुर्माने के तौर पर वसूले गए. ग्राहकों से इस तरह मुनाफा कमाने पर चौतरफा कड़ी आलोचना झेल रही भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि वह न्यूनतम राशि और जुर्माना राशि को फिर से तय करने का विचार कर रहा है.
जुर्माने की समीक्षा की जाएगी
खुदरा एवं डिजिटल बैंकिंग के लिए बैंक के प्रबंध निदेशक पी. के. गुप्ता ने कहा, ‘एमएबी(मिनिमम अकाउंट बैलेंस) को अप्रैल में लागू करने के बाद से हम इसकी लगातार समीक्षा करते रहते हैं और हमने इसे अक्टूबर में कुछ कम भी किया था. अब हम दोबारा इसकी समीक्षा कर रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि प्राप्त हुई प्रतिक्रियाओं के आधार पर एमएबी और उस पर जुर्माने की हम समग्र समीक्षा कर रहे हैं. जल्द ही संशोधनों की घोषणा की जाएगी.
मुनाफे से ज़्यादा जुर्माने से कमाया
देश के सबसे बड़े बैंक में शुमार होने वाले एसबीआई ने अप्रैल 2017 में मासिक औसत न्यूनतम राशि (एमएबी) शुल्कों को संशोधित किया था. एसबीआई ने पांच साल के अंतराल के बाद ऐसा कोई नियम बनाया था. उसने मेट्रो शहरों के खाते में एमएबी (मिनिमम अकाउंट बैलेंस) को 5,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये रखा था. इससे कम राशि पर जुर्माना लगाया गया था. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 40.2 करोड़ बचत खाता धारकों वाले इस बैंक ने इस मद में अप्रैल 2017 से नवंबर 2017 के बीच एमएबी पर जुर्माने के तौर पर 1,771.67 करोड़ रुपये का लाभ कमाया. यह मुनाफ़ा उसके दूसरी तिमाही के लाभ से भी ज्यादा है.
ये हैं मौजूदा बैंक के नियम…
मौजूदा समय में मेट्रो और शहरी इलाकों में बचत खातों के लिए एमएबी 3,000 रुपये है जिसके ना रखने पर जुर्माना 30 से 50 रुपये और कर अलग से है. इसी प्रकार सेमी-अरबन इलाकों में एमएबी 2,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 1,000 रुपये है. इसके न रखने पर जुर्माना 20 से 40 रुपये और कर अलग से है.