मई में सावन जैसी बारिश, समुद्र के सीने में तूफान, तबाही की ‘1.5 डिग्री ‘ के करीब हम!
हाइलाइट्स:
- बिहार, झारखंड में रात भर तेज हवाओं के साथ हो रही भारी बारिश
- ओडिशा में तबाही के बाद बिहार-झारखंड में कमजोर हुआ चक्रवात
- WMO ने कहा- अगले पांच साल में 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा तापमान
नई दिल्ली
चक्रवात तूफान ताउते के बाद यास (Cyclone Yaas) का असर देश के मौसम पर साफ दिखाई दे रहा है। चक्रवात तूफान यास के कारण राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक मई में ही सावन के जैसा मौसम हो गया है। दिल्ली में जहां बारिश ने मई में 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ा वहीं रांची में बारिश ने 31 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। रांची स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले 24 घंटे में रांची में 151 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गयी। इससे पहले 17 मई 1990 को रांची में सबसे अधिक 72.2 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड है।
बढ़ा तापमान तो अरब सागर में उठेंगे और चक्रवात
चक्रवात यास की वजह से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में के कई जिलों में भी पिछले 24 घंटे में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो रही है। ओडिशा में कहर बरपाने के बाद यास तूफान भले ही झारखंड-बिहार आकर कमजोर पड़ चुका है लेकि समुद्र के सीने में एक के बाद एक उठ रहे तूफान ने भी मौसम वैज्ञानिकों की चुनौती को बढ़ा दिया है। विश्व मौसम संगठन (World Meterological Orgnisation) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में बढ़ते तापमान की वजह से उत्तरी हिंद महासागर खासकर अरब सागर में अगले पांच साल में और अधिक चक्रवाती तूफान आ सकते हैं।
पूर्वी तट से सटे 90 फीसदी जिलों में चक्रवात, बाढ़ का खतरा
1901 से 2018 के बीच भारत का तापमान औसतन 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। तापमान के बढ़ने के कारण जिस तरह अरब सागर में अधिक चक्रवात उठने की आशंका जताई जा रही है इससे पूर्वी तट से सटे 90 फीसदी जिले चक्रवात, बाढ़ औ सूखे से होने वाले खतरे की जद में हैं। इससे 25 करोड़ लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। देश के 75 फीसदी जिलों में मौसम संबंधी अत्यधिक बदलाव देखने को मिल सकता है।
1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा दुनिया का तापमान
विश्व मौसम संगठन रिपोर्ट में अगले पांच साल में दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान जताया गया है। जलवायु के लिहाज से यह इंसानी आफत के संकेत हैं। दुनियाभर के साइंटिस्ट पहले ही ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी जारी कर चुके हैं। यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनियाभर के अधिकतर नेताओं ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक नियंत्रित करने की बात कही थी। इस संबंध में डब्ल्यूएमओ के महासचिव ने चेताया है कि यह दुनिया भर के लिए एक और वेकअप कॉल है। यदि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं किया गया था।
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