नई दिल्लीः केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि ‘‘खादी प्राकृतिक पेंट’’ जैसे उत्पादों की पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और इससे यह जल्द ही 6,000 करोड़ रुपए का उद्योग बन सकता है. गडकरी ने इस नए तरह के रंग को बाजार में उतारने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि गाय के गोबर से विनिर्मित इस पहले पेंट को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने विकसित किया है. इस तरह की पहलों से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है और गांवों से शहरों की तरफ होने वाले पलायन को रोका जा सकता है.
बाजार में बिक रहे पेंट से 50 % कम दामों में मिलेगा खादी का पेंट
गडकरी ने कहा, ‘‘खादी प्राकृतिक पेंट ब्रांडिग के बाद 6,000 करोड़ रुपए का उद्योग बन जाएगा. यह बाजार में उपलब्ध सबसे बेहतर पेंट से कहीं अच्छा है और 225 रुपए प्रति लीटर में उपलब्ध है जबकि विभिन्न ब्रांड के रंग का दाम 550 रुपए लीटर तक है.’’ उन्होंने कहा कि सरकार एमएसएमई का अर्थव्यवस्था में योगदान को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना चाहती है जबकि निर्यात में हिस्सेदारी को 48 प्रतिशत से 60 प्रतिशत पर ले जाना चाहती है.
गडकरी ने कहा, ‘‘हमारी योजना खादी ग्रामोद्योग आयोग के कारोबार को अगले पांच साल में मौजूदा 80,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने की है.’’ इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंग और केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना भी उपस्थित थे.
इसी क्रम में आज केवीआईसी (KVIC) के माध्यम से गाय के गोबर से बने एंटी-वायरल ‘प्राकृतिक पेंट’ को केंद्रीय मंत्री श्री @girirajsinghbjp जी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री श्री @pcsarangi जी की उपस्थिति में लॅान्च किया। pic.twitter.com/9576QbuESw
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) January 12, 2021
खादी के पेंट में नहीं है शीशा, पारा जैसी कोई भी भारी धातु
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि खादी प्राकृतिक पेंट दो रूपों में उपलब्ध है– डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक इमल्शन पेंट. इस परियोजना की परिकल्पना मार्च 2020 में केवीआईसी के अध्यक्ष ने की थी और बाद में इसे केवीआईसी की एक इकाई के रूप में काम करने वाले कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान, जयपुर ने विकसित किया. इस पेंट में शीशा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसी अन्य कोई भी भारी धातु नहीं है. खादी प्राकृतिक डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट का परीक्षण देश की तीन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रयोगशालाओ में किया गया है.