Ramcharitmanas Row: जो मुझे ‘ठग’ बता रहे, पूछिए मैंने उनका क्या ठगा है? विरोध करने वालों पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य

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Ramcharitmanas Row: जो मुझे ‘ठग’ बता रहे, पूछिए मैंने उनका क्या ठगा है? विरोध करने वालों पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य

Ramcharitmanas Row: जो मुझे ‘ठग’ बता रहे, पूछिए मैंने उनका क्या ठगा है? विरोध करने वालों पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य


लखनऊ : समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस को बैन करने की मांग को लेकर सुर्खियों में हैं। इस मसले पर उनकी पार्टी के नेता भी उनके खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मुखर हैं, लेकिन स्वामी बेफिक्र हैं। उनका कहना है कि पार्टी के भीतर और बाहर उनका विरोध करने वाले खास जाति के लोग हैं। मौजूदा विवाद पर स्वामी से बात की एनबीटी के विशेष संवाददाता प्रेम शंकर मिश्र ने :

Q: मानस पर बैन की लड़ाई आप कहां तक ले जाएंगे?
A: रामचरित मानस की चौपाइयों के कुछ अंश शूद्र समाज में आने वाले पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों और समस्त महिलाओें को मारने-पीटने का पात्र बताते हैं, जो गलत है। मेरी छोटी सी मांग है कि इन चौपाइयों को विलोपित या प्रतिबंधित किया जाए। मांग करना मेरा संवैधानिक हक है और हक की लड़ाई जारी रहेगी।

Q: बसपा, भाजपा सरकार में आप मंत्री रहे, नेता प्रतिपक्ष रहे, तब मानस में संशोधन के लिए प्रस्ताव क्यों नहीं रखा?
A: यह सामाजिक-धार्मिक सरोकार से जुड़ा प्रश्न है। सामाजिक मंचों से सैकड़ों बार यह मांग कर चुका हूं। यह बात दीगर है कि इस बार इस पर चर्चा हो रही है।

Q: आप पर सवाल तो आपकी अपनी पार्टी से ही उठ रहे हैं। सचेतक मनोज पांडेय, विधायक रविदास मेहरोत्रा सहित कई नाम हैं। एक ने तो कहा है कि ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसको आपने ठगा नहीं?’
A: मेरा विरोध करने वालों के चेहरे देख लें। चाहे वह विधायक हों, भाजपा या किसी दल के नेता हों, संत-धर्माचार्य हों, सब एक ही जाति या वर्ग विशेष से हैं। ये लोग खुद को सुपर ह्यूमन और दूसरों को नीचा समझते हैं। जो मुझे ‘ठग’ बता रहे, उनसे पूछिए मैंने उनका क्या ठगा है?

Q: इस मुद्दे पर पार्टी में दो धड़े होने से स्थिति असहज नहीं हो रही?

A: कोई असहज स्थिति नहीं है। जब अखिलेश जी सीएम पद से हटे थे तो पांच कालिदास मार्ग को गंगाजल से धुलवाया गया था। क्या वह तिवारी, शुक्ला, मिश्रा, पांडेय होते तो आवास धुलवाया जाता? शूद्रों को अपमानित करने वालों ने अखिलेश जी को सर्टिफकेट दे दिया कि आप सीएम भले बन गए हों, लेकिन पहले आप शूद्र हैं। आज सवाल उठाने वाले इस अपमान पर तब क्यों चुप्पी साधे हुए थे?

Q: मानस बैन की मांग के बीच आपको राष्ट्रीय महासचिव बनाकर अखिलेश यादव ने क्या आपके स्टैंड पर मुहर लगाई है?
A: मानस मुद्दा और राजनीतिक भागीदारी दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। यह सामाजिक मुद्दा है, पार्टियां राजनीतिक मुद्दों पर काम करती हैं। संगठन की जिम्मेदारी किसी न किसी को मिलती ही है। बहुतेरों को मिली है, उनमें मैं भी हूं। यह राजनीतिक चर्चा का विषय नहीं है।

Q : सपा मुखिया से मुलाकात के बाद आपने कहा कि अब रणनीति के दूसरे चरण में जातिगत जनगणना करवाने व संवैधानिक आरक्षण बचाने का आंदोलन चलाया जाएगा। तो मानस पर बयान इस रणनीति का पहला चरण था?
A: अब तक जो चल रहा था सामाजिक सरोकार से जुड़ा मुद्दा था। जब हम राजनीतिक प्लैटफॉर्म से अभियान चलाएंगे तो जातिगत जनगणना की मांग को आगे बढ़ाते हुए, आरक्षण खत्म करने की भाजपा की साजिश का पर्दाफाश करने की रणनीति बनाएंगे और जनता के बीच जाएंगे।

Q : कहा जा रहा है कि आप ‘मंडल बनाम कमंडल’ की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं?

A : हम महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के सम्मान की बात कर रहे हैं। भाजपा के लोग इसके जो भी अर्थ लगाना चाहें लगाएं।

Q : आपका बचाव करने के बाद आपकी बेटी और बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य की सियासी निष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं?
A : वह (संघमित्रा) भाजपा की सांसद हैं। इसका उत्तर वह खुद देंगी।

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