Ramcharitmanas को मंडल राजनीति में घसीटने वालों पर Shivraj Singh Chouhan का करारा प्रहार

19
Ramcharitmanas को मंडल राजनीति में घसीटने वालों पर Shivraj Singh Chouhan का करारा प्रहार

Ramcharitmanas को मंडल राजनीति में घसीटने वालों पर Shivraj Singh Chouhan का करारा प्रहार


एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रामचरितमानस की आलोचना करने वालों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों को किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने स्कूलों में धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई शुरू करने का ऐलान भी किया है। शिवराज का यह ऐलान रामचरितमानस को मंडल राजनीति में घसीटने वालों को नसीहत तो है ही, वंचित तबकों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की आरएसएस की रणनीति का एक हिस्सा भी है।

 

हाइलाइट्स

  • शिवराज ने धार्मिक ग्रंथों को स्कूल के सिलेबस में शामिल करने का किया ऐलान
  • शिवराज की चेतावनी, रामचरितमानस पर हमला बर्दाश्त नहीं
  • हाल के दिनों में बिहार और यूपी के नेताओं ने रामचरितमानस के लेकर दिए विवादित बयान
भोपालः रामचरितमानस को लेकर जारी विवाद के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया है। शिवराज ने कहा है कि धार्मिक ग्रंथ रामायण, गीता और महाभारत को मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। लगे हाथों उन्होंने इन ग्रंथों का अपमान करने की कोशिश करने वालों को चेतावनी भी दी। शिवराज ने कहा कि ऐसे कृत्यों को सहन नहीं किया जाएगा। पिछले कुछ दिनों में कुछ नेताओं के रामचरितमानस पर दिए गए विवादास्पद बयानों के बाद शिवराज ने यह चेतावनी दी है। हालांकि, प्रदेश के स्कूलों में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाने का ऐलान पहली बार नहीं किया गया, लेकिन फिर भी यह महत्वपूर्ण है क्योंकि एमपी में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। शिवराज खुद ओबीसी समुदाय का बड़ा चेहरा हैं और अपनी चेतावनी के जरिए उन्होंने रामचरितमानस को मंडल राजनीति में घसीटने वालों को नसीहत दी है।

ओबीसी नेताओं ने उठाए थे सवाल

उत्तर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था। मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इससे पहले जनवरी महीने की शुरुआत में बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने आरोप लगाया था कि हिंदू महाकाव्य के कुछ छंद सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। उनके बयान पर बीजेपी और कांग्रेस सहित कई अन्य दलों के नेताओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

स्कूलों में धार्मिक ग्रंथ पढ़ाने का ऐलान

सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में शिवराज ने कहा कि राम हिंदुस्तान की पहचान हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथ लोगों को नैतिक रूप से शिक्षित करने में सक्षम हैं। इसलिए इन ग्रंथों को स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, श्रीभगवदगीता हो, सभी हमारे अमूल्य ग्रंथ हैं। इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक और पूर्ण बनाने की पूरी क्षमता है। इसलिए हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी हम शासकीय विद्यालयों में देंगे। गीता का सार, रामायण, रामचरितमानस तथा महाभारत के प्रसंग भी पढ़ाएंगे। क्यों नहीं पढ़ाना चाहिए भगवान राम को।’

राम और रामायण पर हमला बर्दाश्त नहीं

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘रामायण ग्रंथ देने वाले तुलसीदास जी को मैं प्रणाम करता हूं। ऐसे लोग जो हमारे इन महापुरुषों का अपमान करते हैं, वे सहन नहीं किए जाएंगे। मध्य प्रदेश में हमारे इन पवित्र ग्रंथों की शिक्षा देकर हम अपने बच्चों को नैतिक भी बनाएंगे, पूर्ण भी बनाएंगे।’

आरएसएस की रणनीति के अनुरूप शिवराज का बयान

शिवराज की यह घोषणा केवल चुनावों के लिए नहीं है। यह बीजेपी और आरएसएस की वर्षों पुरानी रणनीति का ही हिस्सा है जिनका मकसद समाज के कमजोर तबकों को मुख्यधारा में शामिल करना रहा है। समरसता भोज, दलित बस्तियों में स्कूल खोलना और अगड़ी जातियों को वंचितों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए अभियान इन्हीं प्रयासों का उदाहरण हैं। 1983 में महाराष्ट्र में शुरू किए गए सामाजिक समरसता अभियान का लक्ष्य समाज के आंतरिक विभेदों को दूर करने के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देकर वंचितों को मुख्यधारा में शामिल करना था। अगड़ी जातियों के साथ खिचड़ी खाने के लिए दलितों को आमंत्रित करना इस अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

संघ के रामराज्य में वंचितों का अहम स्थान

आरएसएस की रामराज्य की अवधारणा भी सामाजिक समरसता के मूल सिद्धांत पर टिकी है। इस अवधारणा में अगड़ी और पिछड़ी जातियों के लोग सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए एक साथ आते हैं। आरएसएस रामायण के कथानक और राम के जीवन में दलितों की अहम भूमिका पर भी जोर देता है। वह रामायण और राम के जीवन को वंचितों से जोड़कर उन्हें सामाजिक एकता के आदर्श के रूप में प्रचारित करता है। संघ की विचारधारा के मुताबिक सुग्रीव, अंगद, जामवंत, हनुमान और वानर सेना, इन सभी ने लंका से सीता को वापस लाने में राम की मदद की थी। रामायण के ये सभी पात्र समाज के वंचित तबकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कमजोर तबकों के इतिहास और नायकों का सम्मान

वंचित तबकों को मुख्यधारा में शामिल करने की आरएसएस की कोशिशें रामचरितमानस तक ही सीमित नहीं हैं। संगठन पिछड़े तबकों के इतिहास और उनके नायकों को सामाजिक महत्व दिलाने के लिए भी हमेशा प्रयासरत रहा है। चित्तौड़ में सुहलदेव हों या आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा, आरएसएस उनकी पहचान को हिंदुत्व की राष्ट्रीय विचारधारा के साथ जोड़ने के लिए लगातार अभियान चलाता रहा है।

मंडल का मुकाबला कमंडल से

सीएम शिवराज का यह बयान इसीलिए महत्वपूर्ण है। रामायण और रामचितमानस देश की हिंदू अस्मिता के प्रतीक हैं। सामाजिक और राजनीतिक विभेदों के कारण सामाजिक एकता में रामचरितमानस की भूमिका को कमजोर करना आरएसएस की विचारधारा से मेल नहीं खाता। हाल के दिनों में इसको लेकर जो विवाद हुए हैं, उनकी शुरुआत ओबीसी नेताओं ने ही की है। वैसे भी, बीजेपी मंडल के मुकाबले कमंडल की राजनीति पर जोर देती है। इसलिए, रामचरितमानस को मंडल राजनीति में घसीटने के प्रयासों का जवाब देने की जिम्मेदारी शिवराज ने उठाई है।

आसपास के शहरों की खबरें

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News