Rajendra Nagar Results: कांग्रेस का ग्राफ नीचे, नेगेटिव कैंपेनिंग ने भी बीजेपी को पहुंचाया नुकसान

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Rajendra Nagar Results: कांग्रेस का ग्राफ नीचे, नेगेटिव कैंपेनिंग ने भी बीजेपी को पहुंचाया नुकसान

Rajendra Nagar Results: कांग्रेस का ग्राफ नीचे, नेगेटिव कैंपेनिंग ने भी बीजेपी को पहुंचाया नुकसान

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: राजेंद्र नगर विधानसभा उप-चुनाव में मिली हार के बाद दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष राजन तिवारी का मीडिया में एक बयान आया, जिसका लब्बोलुआब यही है कि अगर कांग्रेस थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करती, तो बीजेपी जीत सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि अब कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो चुकी है और उसका कहीं कोई भविष्य नहीं है, इसलिए आने वाले चुनावों में बीजेपी पूरी ताकत से अपने खुद के बूते ही आगे बढ़ेगी। राजन तिवारी का यह बयान और नतीजों के बाद सामने आए आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि राजेंद्र नगर में बीजेपी न केवल अपना वोट शेयर बचाने में कामयाब रही, बल्कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के खाते का भी कुछ वोट बंटोरने में कामयाब रही, लेकिन इसके बावजूद जीत हासिल नहीं कर सकी। इसके पीछे मुख्य कारण राजेंद्र नगर के वो इलाके हैं, जहां आम आदमी पार्टी की मजबूत पकड़ है। झुग्गी बस्ती, अनधिकृत कॉलोनियों और शहरीकृत ग्रामीण आबादी वाले इन इलाकों में बीजेपी को न केवल खुद अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी, बल्कि उसे यह भी लग रहा था कि अगर कांग्रेस इन इलाकों में थोड़ा जोर लगाएगी, तो वह आम आदमी पार्टी का वोट काट सकती है और उसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इन तमाम इलाकों में आम आदमी पार्टी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी और एक भी वोट इधर से उधर नहीं जाने दिया। इस वजह से बीजेपी आम आदमी पार्टी के किले में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो पाई।

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आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार राजेंद्र नगर में बीजेपी का वोट शेयर जहां 2.21 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं आप का वोट शेयर 1.28 पर्सेंट और कांग्रेस का वोट शेयर 1.01 पर्सेंट कम हुआ है। इस तरह कांग्रेस और आप के खाते से कम हुए कुल 2.29 फीसदी वोट शेयर का अधिकतर हिस्सा बीजेपी के खाते में गया है। मगर इसके बावजूद बीजेपी के चुनाव हारने की एक बड़ी वजह कांग्रेस के ऊपर उसकी निर्भरता रही। खुद अपना जमीनी आधार मजबूत करने के बजाय पार्टी कहीं न कहीं कांग्रेस से आस लगाए बैठी रही, ताकि मुकाबला त्रिकोणीय हो सके, मगर नतीजों ने यह साफ कर दिया कि दिल्ली में फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबले की कहीं कोई संभावना नहीं दिख रही है, जिससे बीजेपी फायदा उठा सके। कुल मिलाकर राजेंद्र नगर में डायरेक्ट फाइट हुई और आप जीत की हैट्रिक लगान में कामयाब रही।

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इसके अलावा नेगेटिव कैंपेनिंग ने भी बीजेपी उन इलाकों में बीजेपी को खासा नुकसान पहुंचाया, जहां आप का जनाधार मजबूत है। पीने के पानी की भारी किल्लत और कई अन्य समस्याओं के बावजूद बीजेपी लोगों को कोई समाधान नहीं दे पाई। वह पूरे समय केवल इन समस्याओं के लिए आप को दोषी ठहराती नजर आई। भ्रष्टाचार के कथित आरोप, नई आबकारी नीति का पुरजोर विरोध, सरकार के खिलाफ पोल खोल कैंपेन, बाहरी उम्मीदवार को चुनावी मुद्दा बनाने जैसे तमाम दांव-पेंच बीजेपी के लिए कारगर साबित नहीं हुए, क्योंकि पार्टी के नेताओं ने जमीनी हकीकत को समझने और उसके अनुसार अपनी रणनीति को बदलने की जहमत ही नहीं उठाई। ऐसे में अब उंगलियां बीजेपी की लीडरशिप और संगठन से जुड़े उन लोगों पर भी उठ रही है, जो जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन होने का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत को समझने में नाकाम रहे और नतीजा हार के रूप में भुगतना पड़ा।

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बीजेपी इस चुनाव को एक बड़े मौके रूप में देख रही थी। उसे लग रहा था कि अगर वह चुनाव जीत जाती है, तो देशभर में यह संदेश दिया जा सकेगा कि आप और केजरीवाल का ग्राफ अब गिर रहा है। आने वाले एमसीडी चुनावों में भी इसका फायदा उठाने की योजना थी। कांग्रेस के लिए भी यह दिल्ली में फिर से अपनी खोई हुई जमीन को तलाशने का अवसर था। लेकिन आप ने एक बार फिर बाजी मारकर यह साफ कर दिया कि दिल्ली में केजरीवाल का तोड़ निकालना बीजेपी और कांग्रेस के लिए अभी भी नाकों चने चबाने जैसा है।

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