Rajasthan Politics: राजस्थान में जाट राजनीति सबपर भारी! वसुंधरा तक खुद को बता चुकी जाटों की बहू
पार्टियों का मुख्य चेहरा ‘जाट’
राजस्थान भाजपा में डॉ. सतीश पूनियां की जगह सांसद सीपी जोशी को बीजेपी की कमान सौंपी गई है। इस कदम के पीछे पार्टी आलाकमान की सोशल इंजीनियरिंग बताई जा रही है। वर्तमान में ब्राह्मण को पार्टी की कमान, राजपूत को विधानसभा में प्रमुख स्थान और जाट (पूनियां) को उपनेता प्रतिपक्ष के रूप में काबित कर, ब्राह्मण, राजपूत और जाट समाजों को साधने की कोशिश की गई है। लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट से पहले और बाद, कई वर्षों से प्रदेश संगठन का जिम्मा जाट नेताओं के पास रहा है। वर्तमान में गोविंद सिंह डोटासरा को प्रमुख चेहरे के रूप में आगे रखा गया है। इसी तरह साढ़े तीन साल तक पूनियां भी राजस्थान में बीजेपी के चीफ रहे।
जाट फैक्टर, इसलिए पड़ता है कांग्रेस-बीजेपी पर भारी
राजस्थान में चुनाव से पहले जातिगत सियासत से वोटों के ध्रुवीकरण के लिए महापंचायतों का आयोजन होता रहा है। इस बार भी जाट महापंचायत, ब्राह्मण और राजपूत समाज की सभाएं हो चुकी हैं। लेकिन जाट फैक्टर की बात करें तो 12 से 14 फीसदी वोट बैंक वाला जाट समाज अपनी एकजुटता के चलते सभी दलों पर भारी पड़ता है। ऐसा माना जाता रहा है कि समाज चुनावी समीकरणों को ताक पर रख एक साथ एक जगह वोट डालता है। जाट बाहुल सीटों पर सबसे बड़ा निर्णायक साबित होता है जाट फैक्टर।
जाटलैंड से बाहर भी जाट पाॅलिटिक्स, कुल एक दर्जन से अधिक जिलों में असर
राजस्थान का शेखावटी इलाका जाट बाहुल है। लेकिन सीकर, झुंझुनूं, नागौर के साथ जोधपुर क्षेत्र में जाट समाज का पॉलिटिक्स में बड़ा दखल रहा है। जबकि प्रदेश के जयपुर, चित्तौड़गढ़, बाड़मेर,भरतपुर, हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर, टोंक और अजमेर जिलों में भी जाट समाज चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने का दम रखता है।
राजस्थान विधानसभा में सीटों का गणित और सबसे ज्यादा टिकटों का बंटवारा
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। लेकिन दलगत टिकट बंटवारें में सामान्य वर्ग में जहां राजपूत कैंडिडेट्स को सर्वाधिक टिकट मिलते हैं। वहीं ओबीसी में सबसे ज्यादा टिकट जाटों को बांटे जाते हैं।
दल कोई भी हो, जाट विधायकों का दम 15% से ज्यादा
राजस्थान की विधानसभा में 15 फीसदी से अधिक सीटों पर जाट समाज का कब्जा रहता है। इस बार भी 33 विधायक जाट समाज से चुने गए हैं। 5 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। इसी तरह लोकसभा की 25 सीटों में से 8 पर जाट काबिज हैं। जबकि पिछले चुनाव में प्रदेश में 31 जाट नेता विधायक चुने गए थे।
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