Rajasthan: मंत्री के जवाब से 30,000 होमगार्ड्स को लगा धक्का, जानिए आखिर क्या बोल गए राजेंद्र गुढ़ा

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Rajasthan: मंत्री के जवाब से 30,000 होमगार्ड्स को लगा धक्का, जानिए आखिर क्या बोल गए राजेंद्र गुढ़ा

Rajasthan: मंत्री के जवाब से 30,000 होमगार्ड्स को लगा धक्का, जानिए आखिर क्या बोल गए राजेंद्र गुढ़ा


जयपुर: राजस्थान विधानसभा में गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के एक जवाब से प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा होमगार्ड को बड़ा धक्का लगा है। कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि होमगार्ड्स सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। वे स्वयं सेवक हैं, उन्हें सरकारी कर्मचारियों के समान सुविधाएं नहीं दी जा सकती। होमगार्ड्स को ईएसआई, पीएफ और डीए दिए जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्री ने साफ- साफ कहा कि होमगार्ड एक्ट की धारा 1963 की उपधारा 2 के तहत इन्हें नियमित किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। मंत्री के इस जवाब के बाद प्रदेश के होमगार्ड बड़े आहत हुए हैं। होमगार्ड कर्मचारी संगठन जयपुर के अध्यक्ष झलकन सिंह राठौड़ ने मंत्री के जवाब को गलत करार दिया है।

हम स्वयं सेवक नहीं, स्वयंसेवी संस्था के सदस्य हैं : राठौड़

होमगार्ड कर्मचारी संगठन जयपुर के अध्यक्ष झलकन सिंह राठौड़ ने मंत्री के जवाब को गलत ठहराते हुए कहा है कि होमगार्ड स्वयं सेवक नहीं है बल्कि स्वयं सेवी संस्था के सदस्य हैं। अगर हम स्वयं सेवक होते तो हम अपनी मर्जी से सेवाएं नहीं दे रहे होते। प्रदेश के सभी होमगार्ड्स सरकार के आदेश पर ड्यूटी करते हैं तो वे स्वयं सेवक कैसे हुए।

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झलकन सिंह राठौड़ ने कहा कि सरकार के आदेश के अनुसार ही होमगार्ड विभिन्न विभागों में सेवाएं देने के साथ आपदा में और कानून व्यवस्था संभालने में ड्यूटी करते हैं। इन्हें स्वयं सेवक कहकर इनका अपमान नहीं करना चाहिए। होमगार्ड अपनी मांगों को लेकर लम्बे समय से आन्दोलन करते रहे हैं। अपना हक लेने के लिए होमगार्ड्स को एक बार फिर बड़ा आंदोलन छेड़ना पड़ेगा।

नियम और कानून पुराने, इन्हें बदलने की सख्त जरूरत

होमगार्ड कर्मचारी संगठन जयपुर के अध्यक्ष झलकन सिंह राठौड़ ने कहा कि होमगार्ड एक्ट बहुत पुराना बना हुआ है। 1963 में जब होमगार्ड एक्ट बना तब परिस्थितियां अलग थी, आज परिस्थितियां अलग हैं। उस दौरान जनसंख्या कम थी और कानून व्यवस्था भी ज्यादा खराब नहीं थी। आज होमगार्ड अपनी जान पर खेलकर कानून व्यवस्था संभालते हैं और आपदा के समय लगातार सेवाएं देते हैं। हालांकि होमगार्ड्स को पूरी ड्यूटी नहीं मिल पाती लेकिन जब भी इन्हें ड्यूटी मिलती है तब सरकारी कर्मचारी की तरह की काम करते हैं। ऐसे में इन्हें तमाम सुविधाएं दिए जाने की जरूरत है। प्रदेश में कुल 30714 होमगार्ड हैं। नई भर्ती भले ही ना हो लेकिन जो होमगार्ड मौजूद हैं, उन्हें तो पूरी ड्यूटी मिले। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़)

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