राजस्थान: जिन पार्टियों के साथ पहले राहुल नहीं करना चाहते थे गठबंधन अब उन्हीं से मिला रहें है हाथ

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नई दिल्ली: राजस्थान में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है. जिसको लेकर तमाम दल काफी उत्साहित है. लेकिन इन चुनाव को लेकर अधिकतर कांग्रेस उत्सुक नजर आ रहीं है. पार्टी को लगता है कि वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का लाभ उसे मिलेगा और कांग्रेस की सरकार सत्ता पर वापसी कर सकेगी.

जिन राज्य को कमतर पर आंका गया है अब उन्हीं के साथ राहुल करना चाहते है गठबंधन 

अभी तक पार्टी ने किसी भी दल के साथ राज्य में गठबंधन नही किया है. हालांकि, पार्टी ने राज्य में बसपा से गठंधन की संभावनाओं के लिए प्रदेश नेताओं को निर्देश भी दिए थे लेकिन वह असफल रहा. जब से बसपा से पार्टी का तालमेल बिगड़ा है तब से राहुल ने उन दलों से भी गठबंधन की संभावना तलाश रहें है जिन्हें राज्य में कमतर पर आंका गया है.

समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को भी अपने खेमे में करने का निर्देश 

इस पर पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के साथ औपचारित वार्ता की है. पहले दौर के गठबंधन में इन दलों से कोई बातचीत नहीं की गई थी. ये ही नहीं राहुल ने इस चुनावी माहौल को देखते हुए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को भी अपने खेमे में करने का निर्देश दिया है.

इन पार्टियों के साथ गठबंधन होने से पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में फायदा

वहीं रलोद दो दिन पहले ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन करने की घोषणा कर चुकी है. राहुल के अनुसार, राजस्थान में इन पार्टियों के साथ गठबंधन होने से पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा. लेकिन राजस्थान नेताओं के मानना है कि राज्य में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है अपने दम पर सत्ता पर कब्जा कर सकती है.

किन के हाथ कौन सी सीट 

गौरतलब है कि पार्टी आलाकमान के आदेशा पर राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने शरद यादव, शरद पवार और रालोद मुखिया अजीत सिंह से मुलाकात भी की है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, अगर यह पार्टियां कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है तो शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के खाते में कुशलगढ़ विधान सभा सीट, शरद पवार के खाते में बाली विधान सभा सीट जा सकती है.

दलों के साथ कितनी सीटों पर गठबंधन का फैसला राहुल के हाथों पर 

बता दें कि इन दलों के साथ कितनी सीटों पर गठबंधन होना है उसका फैसला राहुल खुद करेंगे. शरद यादव द्वारा यादव वोटरों को लुभाया जा सकता है, वहीं अजित सिंह के सहारे जाट वोटरों और शरद पवार के सहारे दक्षिणी राजस्थान के जगहों में उनके प्रभाव का फायदा उठाने का पूरी-पूरी कोशिश है.