मोदी जी को अब हज पर जाने वाली महिलाओं की चिंता

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अभी तीन तलाक़ का मुद्दा ठंडा भी नही हुआ है कि मोदी जी ने अब महिला हज यात्रियों की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है. दरअसल नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में हज तीर्थयात्रा पर जा रही मुस्लिम महिलाओं के बारे में बात की. मोदी जी का कहना है कि महिला हज यात्रियों के साथ भेदभाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय किया जा रहा था लेकिन कोई इसकी चर्चा तक नहीं करता था.

मन की बात में की हज की बात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 नवंबर के ‘मन की बात’ के 38वें एपिसोड में कहा, ‘हमारी जानकारी में बात आयी कि यदि कोई मुस्लिम महिला, हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह महरम आदमी या मेल गार्जियन के बिना नहीं जा सकती है. ये भेदभाव क्यों? मैं जब उसकी गहराई में गया तो मैं हैरान हो गया कि आज़ादी के 70 साल बाद भी ये शर्तें लगाने वाले हम ही लोग थे. दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी.’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने आवश्यक क़दम उठाते हुए मुस्लिम महिलाओं को हज पर बिना महरम के जाने पर लगी पाबन्दी को हटाया और सत्तर साल से चली आ रही परंपरा को ख़त्म किया. उन्होंने इसे एक उपलब्धि बताते हुए कहा कि आज मुस्लिम महिलाएं, महरम के बिना हज के लिए जा सकती हैं और मुझे खुशी है कि इस बार लगभग 1300 मुस्लिम महिलाएं महरम के बिना हज जाने के लिए आवेदन कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से केरल से लेकर उत्तर भारत की महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज यात्रा करने की इच्छा ज़ाहिर की है.

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अकेली महिला हज यात्रियों के लिए ख़ास इंतज़ाम

पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बताया, ‘अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मैंने सुझाव दिया है कि अकेले आवेदन करने वाली संभी महिलाओं को हज यात्रा पर भेजा जाए. वैसे तो हज पर लॉटरी सिस्टम के तहत भेजा जाता है, लेकिन मैंने कहा है कि अकेले आवेदन करने वाली महिलाओं के लिए लॉटरी से अलग व्यवस्था की जाए.’

गौरतलब है कि हज कमेटी आफ इंडिया की नई नीति के तहत पहली बार बिना महरम के साथ जा रही महिलाओं को 4 और अधिक के ग्रुप में यात्रा की अनुमति प्रदान की गई थी. इस नई नीति के बाद देश भर से बड़ी संख्या में महिलाओं ने ग्रुप में आवेदन किया है.

ये हैं महरम के मायने

इस्लाम में महरम का मतलब है वो वयस्क आदमी  (पति,बेटा,या पिता) जिसके साथ खून का रिश्ता हो. महरम वह है जिसके साथ निकाह नहीं हो सकता. जैसे मां, बहन, सास, फूफी, नानी और दादी, इनके महरम बेटा, भाई, दामाद, भतीजा, धेवता और पोता हैं. बीवी के लिए महरम शख्स उसका शौहर है. ये शरई कानून सऊदी अरब हुकूमत में लागू हैं. लिहाजा बिना महरम या शौहर के औरत का हज का सफर नाजायज़ माना जाता है.

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इसलिए ज़रूरी है महरम शख्स का होना

उलेमा-ए-दीन फरमाते हैं कि किसी भी औरत को महरम या शौहर के बगैर हज के सफर में जाना इसलिए जायज नहीं है क्योंकि ये इबादत का सफर है. सफर के दौरान बहुत सी जगह तन्हाई या जरूरत के वक्त मदद की जरूरत पड़ती है, जो किसी गैर महरम के ज़रिए फितने का सबब बन सकती है. सफर के लिए फर्जी रिश्ते कायम करना सख्त गुनाह है.

क़ुरान शरीफ की नज़र में महरम शख्स

क़ुरान शरीफ में हज तीर्थयात्रा के संबंध में करीब 25 आयतें दी गयी हैं. इसमें हज तीर्थयात्रियों के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इन आयातों में कहीं भी महरम शख्स की अनिवार्यता का ज़िक्र नहीं है. गौरतलब है कि सऊदी अरब में पहले ही से इस संबंध में नियम बनाए जा चुके हैं. सऊदी अरब किंगडम गाइडलाइन के मुताबिक, 45 साल से अधिक उम्र की महिलाएं बिना महरम के एक संगठित समूह के साथ हज तीर्थयात्रा कर सकती हैं. हालांकि उन्हें अपने शौहर, पुत्र या भाई से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) देना होता है.

ये है हदीस का कहना

पैगम्बर मोहम्मद की हदीस के मुताबिक हज तीर्थयात्रा के दौरान संभावित खतरे को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे निर्देश दिए थे. पहले हज तीर्थयात्रा के दौरान लुटेरों और चोरों से भी सुरक्षा की भी आवश्यकता होती थी. शुष्क मरुस्थल में तो ये यात्रा करना और भी ज़्यादा कठिन था.