Modi’s US Visit : क्वाड सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका जा सकते हैं पीएम मोदी, जो बाइडेन से होगी पहली व्यक्ति भेंट, जानें भारत के लिहाज से कितना अहम

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Modi’s US Visit : क्वाड सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका जा सकते हैं पीएम मोदी, जो बाइडेन से होगी पहली व्यक्ति भेंट, जानें भारत के लिहाज से कितना अहम

Modi’s US Visit : क्वाड सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका जा सकते हैं पीएम मोदी, जो बाइडेन से होगी पहली व्यक्ति भेंट, जानें भारत के लिहाज से कितना अहम

हाइलाइट्स:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में अमेरिकी दौरे पर जा सकते हैं
  • वॉशिंगटन में आयोजित होने जा रहे क्वाड सम्मेलन में हिस्सा लेंगे प्रधानमंत्री
  • अमेरिका गए तो राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहली बार होगी मोदी की मुलाकात
  • चार देशों के संगठन में भारत की ताकत का अहसास बाकी सभी देश कर रहे हैं

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष क्वाड सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका जा सकते हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण चार देशों के इस संगठन की मार्च में हुई पहली बैठक डिजिटल प्लैटफॉर्म के जरिए हुई थी। अब वॉशिंगटन में होने वाली अगली बैठक में संगठन के चारों देशों- अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया, के शीर्ष नेता पहली बार एक-दूसरे के साथ होंगे।

अमेरिका गए तो पहली बार बाइडेन से मिलेंगे मोदी

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगली मीटिंग में हिस्सा लेने अमेरिका जाएंगे तो उनकी नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पहली बार व्यक्तिगत भेंट होगी। मोदी के अमेरिका दौरे का एक और प्रमुख मकसद संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की उच्चस्तरीय बैठक में हिस्सा लेना होगा। भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थाई सदस्य है। हालांकि, यह अभी तय नहीं हुआ है कि क्वाड सम्मेलन कब बुलाया जाएगा, लेकिन 12 मार्च की मीटिंग में कहा गया था कि मौका मिलते ही क्वाड की दूसरी मीटिंग बुलाई जाएगी। बाद में अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भी एक टीवी इंटरव्यू में इस बात की पुष्टि की थी।

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बाइडेन प्रशासन ने बताया, अगले सम्मेलन का महत्व

दरअसल, दूसरे क्वाड सम्मेलन की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र प्रमुख कुर्त कैंपबेल (Kurt Campbell) ने कुछ दिनों पहले एक अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्यॉरिटी (CNAS) के पास की थी। उन्होंने इस सम्मेलन को वर्चुअल मीटिंग की जगह आमने-सामने की मुलाकात के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी बताया।

वैक्सीन प्रॉडक्शन के लिए भारत का चुनाव

उन्होंने अमेरिका का पक्ष रखते हुए कहा कि क्वाड कोविड वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया जाएगा। क्वाड सदस्यों ने 12 मार्च की मीटिंग में जॉनसन ऐंड जॉनसन (J&J) वैक्सीन की एक अरब डोज लेकर अगले साल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में बांटने का संकल्प लिया था। वैक्सीन डोज के उत्पादन के लिए हैदराबाद की कंपनी बाइलॉजिकल-ई का चुनाव किया गया है। कैंपबेल ने सीएनएएस को बताया कि भारत में कोविड की दूसरी लहर आने के बाद भी जेऐंडजे वैक्सीन की उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ है।

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क्वाड के निशाने पर चीन

क्वाड के दूसरे सम्मेलन में चीन पर गहन चर्चा हो सकती है। बाइडेन प्रशासन कोरोना वायरस को लेकर चीन पर लगाता दबाव बना रहा है। G-7 देशों ने भी हाल ही में कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर, हॉन्ग-कॉन्ग और शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों तक के लिए चीन को कठघरे में खड़ा किया था। उधर, भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के अड़ियल रवैये के खिलाफ कड़ा रुख अपना रखा है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने चीन की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSCC) की उस बैठक का बहिष्कार कर दिया था। उधर, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्वायत्तता को लेकर चीन से खतरा महसूस करते हैं। ऐसे में संभव है कि अगले क्वाड सम्मेलन में चीन को उसके नापाक मंसूबों में कामयाब होने से रोकने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।

G-7 की मीटिंग से मिला बड़ा संकेत
सूत्रों की मानें तो क्वाड अभी दो मोर्चों पर काम कर रहा है, पहला- जापान और अमेरिका की फंडिंग से बाइलॉजिकल-ई का क्षमता विस्तार करना और दूसरा- भारत की दूसरी कंपनियों को भी टीका उत्पादन का काम दिए जाने की संभावना तलाशना। कैंपबेल ने कहा कि अगले क्वाड सम्मेलन में वैक्सीन के अलावा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग पर भी खासा ध्यान दिया जाएगा। हाल ही में संपन्न हुए जी-7 मीटिंग में भी इस बात के संकेत मिल गए जब अमेरिका ने B3W (बिल्ड बैक बेटर फॉर द वर्ल्ड) प्रोग्राम की घोषणा की। इसे आम तौर पर चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का जवाब माना जा रहा है।

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क्वाड का ‘हीरो’ क्यों है भारत?

ऑस्ट्रेलिया की नजर में भारत हिंद महासागर के इलाके में महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है तो जापान इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और खुला रखने में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है। वहीं, अमेरिका मानता है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दशा और दिशा तय करने के लिहाज से एक शीर्ष वैश्विक शक्ति (Leading Global Power) है। यही वजह है कि उसने यूएस पैसिफिक कमांड का नाम बदलकर यूए इंडो-पैसिफिक कमांड कर दिया। स्पष्ट है कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया- तीनों देश क्वाड को आकार देने में भारत की रचनात्मक और प्रमुख भूमिका चाहते हैं।

बाइडेन ने की थी पीएम मोदी की प्रशंसा

बाइडेन ने पिछली वर्चुअल समिट में प्रधानमंत्री मोदी को एक सशक्त नेता बताया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 मार्च को इसका जिक्र करते हुए कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले क्वाड सम्मेलन में भारत को ताकतवर बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की थी।” शिखर बैठक को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था, “क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होने जा रहा है और मैं आने वाले वर्षों में आप सभी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।”

क्वाड विकसित हो चुका है: पीएम मोदी

तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हम पहले से कहीं अधिक मिलकर करीबी तालमेल से काम करेंगे। उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा, “आज का सम्मेलन दिखाता है कि क्वाड विकसित हो चुका है और यह अब क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा।” सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “टीका, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकी पर हमारी चर्चा क्वाड को वैश्विक भलाई और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता के लिए सकारात्मक शक्ति बनाते हैं।”

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