रेल ई-टिकटिंग में घोटाला करने वाले एक रैकेट के मास्टरमाइंड ने रेलवे पुलिस बल (RPF) प्रमुख को एक ऑफर दिया है। रैकेट का मास्टरमाइंड दावा कर रहा है कि रेल ई-टिकटिंग व्यवस्था में बहुत बड़ी खामी है।
इस मास्टरमाइंड का नाम हामिद अशरफ है यह दुबई में है। उसने दावा किया है कि उसे या कुछ लोगों को नाकाम करने से ऐसे रैकेट का अंत नहीं होगा, क्योंकि अन्य लोग भी इसी तरह के ‘अवैध’ सॉफ्टवेयर विकसित कर सकते हैं और IRCTC का सिस्टम की सुरक्षा खामियों का फायदा उठाकर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। ।
RPF इस रैकेट के एक अन्य आदमी गुलाम मुस्तफा को गिरफ्तार किया है। टीम अशरफ को पकड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। अशरफ 2016 में जमानत मिलने के बाद देश से भाग गया था। वह बारहवीं कक्षा में होने पर इसी तरह रेल ई-टिकटिंग धोखाधड़ी में गिरफ्तार किया गया था।
व्हाट्सएप ब्रॉडकास्ट की एक सीरीज में अशरफ ने दावा किया कि उसने बार-बार रेलवे सुरक्षा सूचना प्रणाली (सीआरआईएस) के स्वामित्व वाली केंद्र सरकार द्वारा विकसित आईटी सुरक्षा प्रणाली में खामियों को बताया था।
उसने बताया कि एजेंसियों ने खामियों को दूर करने के उपाय नहीं किए और इसलिए कोई उसे कैसे जिम्मेदार ठहरा सकता हैं? उसने कहा, “उन सभी ने सोचा कि मैं पागल था।”
अशरफ ने यह सब बातें आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार से व्हाट्सप्प के जरिये बात करते हुए कही। अशरफ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद आरपीएफ डीजी के पास पहुंचा, जहां उसने कहा कि इस धन का उपयोग आतंकी वित्तपोषण के लिए होने का संदेह था।
अशरफ ने 500 से अधिक ईमेल और व्हाट्सएप संदेशों” के माध्यम से विवरण साझा करने के बाद भी एजेंसिया”इस तरह के सुरक्षा मुद्दे को ठीक करने में असमर्थ थीं। इसने गंभीर साइबर सुरक्षा मुद्दों से निपटने की उनकी क्षमता पर गंभीर सवाल उठाए थे
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आरोपी अशरफ ने यहां तक कहा कि रेलवे उसे 2 लाख रुपये मासिक वेतन पर ‘नैतिक’ हैकर के रूप में रख सकता है जैसा कि आईटी दिग्गज करते हैं। यह दावा करते हुए कि उसने कई लोगों को बेचे गए अवैध सॉफ़्टवेयर को निष्क्रिय कर दिया और वापस ले लिया है।