ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज़ बोर्ड (ओएफबी) के कर्मचारियों ने सरकार की कॉरपोरेटाइजेशन ’योजनाओं को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए, देश भर की अपनी रक्षा विनिर्माण इकाइयों में मंगलवार को एक महीने की हड़ताल शुरू की। इस हड़ताल में करीब देश भर से 80,000 कर्मचारी शामिल है।
तीन मजदूर संघों द्वारा बुलाई गई हड़ताल ने दावा किया कि कोलकाता-मुख्यालय संगठन का निगमीकरण किया जायेगा और फिर इसे बाद में निजीकरण करके प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जायेगा।
हालांकि, OFB के अध्यक्ष सौरभ कुमार ने तर्क दिया कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित कदम दिन-प्रतिदिन के कामकाज में अधिक लचीलापन प्रदान करने और निर्णय लेने में स्वायत्तता बढ़ाने के उद्देश्य से है।
ऑर्डनेंस कारखानों के महानिदेशक सौरभ कुमार ने कहा, “इससे ऑर्डनेंस कारखानों को सशस्त्र बलों की भविष्य की जरूरतों के लिए तेजी से प्रतिक्रिया करने और अपने उत्पादों की निर्यात क्षमता को गति प्रदान करने में मदद मिलेगी।”
रक्षा मंत्रालय ने पहले स्पष्ट किया था कि उसके पास ऑर्डनेंस कारखानों के निजीकरण की कोई योजना नहीं थी।
तीन मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघों द्वारा जारी एक संयुक्त प्रेस बयान में दावा किया गया है कि इस मामले को हल करने के लिए मंत्रालय के साथ बातचीत एक समाधान तक पहुंचने में विफल रही है।
मंगलवार को सुबह 6 बजे हड़ताल शुरू हुई। अगर इससे पहले कोई समाधान नहीं पहुंचा है यह एक महीने के लिए यानी 20 सितंबर तक जारी रहने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया है, “फेडरेशन ने केंद्र से आग्रह किया कि वह अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करे और हमारे देश की रक्षा उपकरणों के निर्माण और 82,000 कर्मचारियों के ज़िन्दगी के हित में इस फैसले को वापस लें।”
पिछले दो दशकों में, कई समितियों ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में ऑर्डनेंस कारखानों के रूपांतरण की सिफारिश की है।
ओएफबी के अध्यक्ष के साथ रक्षा उत्पादन विभाग के अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति ने 14 अगस्त और 16 अगस्त को संघ के पदाधिकारियों से इस मामले पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की थी।
समिति ने कर्मचारी संगठनों को समझाया कि ओएफबी के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र इसे एक रक्षा सार्वजनिक उपक्रम (DPSUs) बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जो कि 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाला है।
क्या है ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज़ बोर्ड?
इस कारखाने में सेना के लिए हथियार बनते है। जैसे टैंक, सेना के लिए प्रयोग किए जाने वाले वाहनों के उपकरण आदि। ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज़ की देशभर में फैक्टरियां है। इन फैक्टरियों में 82,000 से अधिक लोग काम करते हैं। इन कर्मचारियों का आरोप है पहले इसे सरकार निगमीकरण में तब्दील करेगी फिर इसे किसी निजी हाथों में सौंप देगी इससे उनके नौकरियों पर खतरा आ जायेगा।