पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने एक आदेश में कहा कि ऐसे कर्मचारी जिनका चयन 01 जनवरी, 2004 से पहले हो गया था. लेकिन किसी कारण से नियुक्ति में देरी होने के कारण वो 01 जनवरी, 2004 के बाद सेवा में शामिल हो पाए. ऐसे कर्मचारी यदि चाहें तो NPS की जगह केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन के हकदार बन सकते हैं. लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह ने ये जानकारी दी.
जितेन्द्र सिंह ने बताया की कर्मचारियों की ये मांग काफी लंबे समय से चली आ रही थी. जिसको पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने मान लिया है. इसके लिए विभाग ने एक समयसीमा भी निर्धारित की है कि यदि कोई 31 मई, 2020 तक केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) का विकल्प नहीं चुनता है तो फिर वह NPS के दायरे में ही आएगा.
अगर हम आपको साधारण शब्दों में बताए तो 31दिसंबर, 2003 तक अगर आपका परिणाम आ गया था. लेकिन नियुक्ति नहीं हुई थी तो आप इस स्कीम का लाभ उठा सकते हो. इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथी 31 मई, 2020 है.
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मामले में विभिन्न अभिवेदनों/संदर्भों और न्यायालयों के फैसलों को देखते हुए इस मामले की कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, व्यय विभाग और कानूनी मामलों के विभाग के साथ मिलकर जांच की गई है उसके बाद यह फैसला लिया गया है कि 31 दिसंबर, 2003 या उससे पहले की रिक्तियों के लिए 1 जनवरी, 2004 से पहले घोषित भर्ती परिणामों के सभी मामलों में भर्ती के लिए सफल घोषित किए गए उम्मीदवार सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन पाने के पात्र होंगे।
वे सरकारी कर्मचारी जो केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन योजना का विकल्प चुनते हैं, उन्हें सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) की सदस्यता लेना आवश्यक होगा।