हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

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हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को कहा कि हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के लिये प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर आयूष के चिकित्सकों को सरकार से मंजूर मिश्रण और गोलियां लिखने की अनुमति देने के केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूति एम आर शाह की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के 21 अगस्त के आदेश के खिलाफ अपील में वह एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें. शीर्ष अदालत ने मेहता से जानना चाहा कि क्या आयूष मंत्रालय के इस बारे में कोई दिशा निर्देश हैं.

आयूष मंत्रालय (आयूर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी के लिये हैं) की तरफ से सालिसीटर जनरल ने कहा कि वह इस बारे में दिशानिर्देश रिकॉर्ड पर लायेंगे. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘अनुरोध के अनुरूप एक सप्ताह का समय दिया जाता है. इसे एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाये.’ इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, ‘हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती’ और ‘हो सकता है प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये इनका इस्तेमाल हो लेकिन उपचार के लिये नहीं.’

हाई कोर्ट ने उस याचिका पर यह आदेश दिया था जिसमे आयूष मंत्रालय की छह मार्च की अधिसूचना के अनुरूप होम्योपैथी चिकित्सकों को काम करने की तत्काल अनुमति देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया जाये. इस अधिसूचना में कहा गया था कि राज्य सरकार कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में होम्योपैथी पद्धति को दूसरी चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने के लिये कदम उठायेंगी.

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उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सरकार के मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार आयूष चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक कोई भी दवा कोविड-19 बीमारी के इलाज के लिये बताते हुये नहीं लिखेंगे. अदालत ने यह भी कहा कि भारत सरकार के आयूष मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में आयूष चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों द्वारा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले मिश्रण या गोलियां लिखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

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