देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार (03 नवंवर) को साफ किया है कि किसी तरह का कोई भी टेक्निकल कोर्स कॉरेस्पोन्डेन्स मोड से नहीं होगा। ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तकनीकि शिक्षा दूरस्थ पाठ्यक्रम और माध्यम से नहीं उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे पहले ओडिशा हाई कोर्ट ने टेक्निकल कोर्सेज को कॉरेस्पोन्डेन्स मोड से कराने की मंजूरी दी थी। बता दें कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, मेडिकल समेत कई ऐसे कोर्सेज हैं जिसे टेक्निकल कोर्स कहा जाता है और इनके कॉरेस्पोन्डेन्स मोड पर रोक लगा दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले पर भी अपनी संस्तुति जाहिर की है जिसमें दो साल पहले हाई कोर्ट ने कम्प्यूटर साइंस में दूरस्थ माध्यम से ली गई डिग्री को रेग्यूलर मोड में ली गई कम्प्यूटर साइंस की डिग्री को एक समान मानने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि देश में तकनीकि पाठ्यक्रमों और कोर्सेज को चलाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मंजूरी लेना अनिवार्य है। सभी तरह के तकनीकि कोर्सेज चलाने वाले सरकारी और गैर सरकारी संस्थान एआईसीटीई के नियमों के मुताबिक ही संचालित होते हैं। केंद्र सरकार की यही संस्था सभी तकनीकि शिक्षण संस्थानों जो इंजीनियरिंग डिग्री, इंजीनियरिंग डिप्लोमा, फार्मेसी या मैनेजमेंट का कोर्स चलाते हैं, उन्हें रेग्यूलेट करती है।
गौरतलब है कि अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नया संशोधित सिलेबस तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से नया सिलेबस लागू कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक नए सिलेबस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से भी मंजूरी मिल चुकी है। सिलेबस में परिवर्तन करने का मकसद इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को नई टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू कराने के साथ उन्हें रोजगार के अधिक मौके उपलब्ध कराना है। भारत में काफी समय से इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
Supreme Court sets aside Odisha HC order, says technical education can not be provided through the process of correspondence courses. pic.twitter.com/CqBalGDJes
— ANI (@ANI) November 3, 2017