Nitish Kumar Vs RCP Singh: करीबी नेताओं के सफाए के बाद आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री पद पर भी संकट, जानिए कैसे जा सकती है कुर्सी h3>
RCP Singh ka Kya Hoga: कभी जो नेता ये तय करता था कि जेडीयू में कौन रहेगा और कौन जाएगा, अब उसी नेता के राजनीतिक अस्तित्व पर संकट है। हाल ये है कि पार्टी के एक बड़े नेता और नीतीश के करीब ने यहां तक कह दिया है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए।
हाइलाइट्स
- पहले राज्यसभा के लिए बेटिकट
- फिर छीन लिया गया बंगला
- उसके बाद करीबी नेताओं पर गिरी गाज
- अब क्या होगा आरसीपी सिंह का?
पटना: ऐसा लग रहै है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह को उनकी अपनी ही पार्टी जेडीयू ने पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो न तो उनके करीबियों को जेडीयू से बकायदा चिट्ठी लिखकर बाहर का रास्ता दिखाया जाता और न ही पार्टी के एक बड़े नेता ये साफ कहते कि आरसीसीपी सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दें। मंगलवार को आरसीपी के करीबी 4 नेताओं पर कार्रवाई के बाद JDU के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें नैतिक आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए कहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरसीपी सिंह को 7 जुलाई तक केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि उस समय उनका राज्यसभा कार्यकाल खत्म हो जाएगा।
क्या कहा उपेंद्र कुशवाहा ने…. पढ़ लीजिए
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि ‘उन्हें खुद तय करना होगा कि वो आगे कैसे बढ़ेंगे। पार्टी को उनके मामले में कोई फैसला लेने की जरूरत नहीं है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने तक मंत्री पद धारण कर सकता है। लेकिन नैतिक आधार पर और हाल के राजनीतिक फैसलों के माध्यम से भेजे गए संदेश के अनुसार, उन्हें इस्तीफा देने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। उन्हें खुद इस बात का फैसला करना है क्योंकि केंद्रीय मंत्री के पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है।’
आरसीपी पर कुशवाहा का तंज
कुशवाहा ने इस दौरान आरसीपी सिंह पर तंज भी कसा। उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि ‘लगता है उनकी उम्मीदें पीएम मोदी से बंधी हैं। क्योंकि आरसीपी सिंह ने मंगलवार दोपहर को दिए एक बयान में मिशन मोड में अगले डेढ़ साल में 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने के पीएम मोदी के फैसले की तारीफ की थी।’
क्या होगा आरसीपी सिंह का?
हालांकि ये बात पहले से ही तय है कि सिर्फ नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा ही नहीं बल्कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को भी आरसीपी फूटी आंख नहीं सुहा रहे। ये अलग बात है कि इसके बारे में खुलकर कोई कुछ नहीं कह रहा। लेकिन पहले राज्यसभा के लिए बेटिकट कर देना, फिर पटना में आवंटिक बंगला वापस ले लेना, उसके बाद चार करीबी नेताओं को JDU से बाहर का रास्ता दिखा देना… ये सब साफ बता रहा है कि कभी JDU में किंगमेकर की भूमिका में रहनेवाले आरसीपी सिंह की हालत अब क्या है।
सिर्फ 6 महीने की मोहलत
अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? संवैधानिक नियमों के हिसाब से सदन की सदस्यता खत्म होने के 6 महीने तक ही कोई भी नेता मंत्री पद पर बना रह सकता है। लेकिन इस 6 महीने के अंदर उसे फिर से सदन की सदस्यता हासिल करनी होती है। यही बात आरसीपी सिंह के साथ भी लागू होती है, वो 6 जुलाई के बाद 6 महीने तक केंद्र में मंत्री रह सकते हैं। लेकिन उसके बाद अगर वो किसी सदन की सदस्यता हासिल नहीं कर पाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना ही होगा।
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Web Title : rcp singh union minister post will he resign nitish kumar upendra kushwaha bihar politics
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RCP Singh ka Kya Hoga: कभी जो नेता ये तय करता था कि जेडीयू में कौन रहेगा और कौन जाएगा, अब उसी नेता के राजनीतिक अस्तित्व पर संकट है। हाल ये है कि पार्टी के एक बड़े नेता और नीतीश के करीब ने यहां तक कह दिया है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए।
हाइलाइट्स
- पहले राज्यसभा के लिए बेटिकट
- फिर छीन लिया गया बंगला
- उसके बाद करीबी नेताओं पर गिरी गाज
- अब क्या होगा आरसीपी सिंह का?
क्या कहा उपेंद्र कुशवाहा ने…. पढ़ लीजिए
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि ‘उन्हें खुद तय करना होगा कि वो आगे कैसे बढ़ेंगे। पार्टी को उनके मामले में कोई फैसला लेने की जरूरत नहीं है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने तक मंत्री पद धारण कर सकता है। लेकिन नैतिक आधार पर और हाल के राजनीतिक फैसलों के माध्यम से भेजे गए संदेश के अनुसार, उन्हें इस्तीफा देने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। उन्हें खुद इस बात का फैसला करना है क्योंकि केंद्रीय मंत्री के पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है।’
आरसीपी पर कुशवाहा का तंज
कुशवाहा ने इस दौरान आरसीपी सिंह पर तंज भी कसा। उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि ‘लगता है उनकी उम्मीदें पीएम मोदी से बंधी हैं। क्योंकि आरसीपी सिंह ने मंगलवार दोपहर को दिए एक बयान में मिशन मोड में अगले डेढ़ साल में 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने के पीएम मोदी के फैसले की तारीफ की थी।’
क्या होगा आरसीपी सिंह का?
हालांकि ये बात पहले से ही तय है कि सिर्फ नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा ही नहीं बल्कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को भी आरसीपी फूटी आंख नहीं सुहा रहे। ये अलग बात है कि इसके बारे में खुलकर कोई कुछ नहीं कह रहा। लेकिन पहले राज्यसभा के लिए बेटिकट कर देना, फिर पटना में आवंटिक बंगला वापस ले लेना, उसके बाद चार करीबी नेताओं को JDU से बाहर का रास्ता दिखा देना… ये सब साफ बता रहा है कि कभी JDU में किंगमेकर की भूमिका में रहनेवाले आरसीपी सिंह की हालत अब क्या है।
सिर्फ 6 महीने की मोहलत
अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? संवैधानिक नियमों के हिसाब से सदन की सदस्यता खत्म होने के 6 महीने तक ही कोई भी नेता मंत्री पद पर बना रह सकता है। लेकिन इस 6 महीने के अंदर उसे फिर से सदन की सदस्यता हासिल करनी होती है। यही बात आरसीपी सिंह के साथ भी लागू होती है, वो 6 जुलाई के बाद 6 महीने तक केंद्र में मंत्री रह सकते हैं। लेकिन उसके बाद अगर वो किसी सदन की सदस्यता हासिल नहीं कर पाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना ही होगा।
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