Ghaziabad: कंप्यूटर रिमोट पर लेकर दूसरे दे रहे डीएल की परीक्षा, ये ड्राइवर बनेंगे दूसरों के लिए खतरा…जानिए पूरा मामला

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Ghaziabad: कंप्यूटर रिमोट पर लेकर दूसरे दे रहे डीएल की परीक्षा, ये ड्राइवर बनेंगे दूसरों के लिए खतरा…जानिए पूरा मामला

अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद: परिवहन विभाग की बात हो और दलाल का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता। गाड़ियों के परमिट, फिटनस से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने तक में इनका पूर नेटवर्क काम करता है। इसी नेटवर्क को खत्म करने के लिए लर्निंग लाइसेंस बनाने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया। आधार से लिंक करके घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाने की व्यवस्था शुरू हुई तब से दलालों के काम करने का तरीका ही बदल गया। आवेदन करने वाला ऑनलाइन परीक्षा घर बैठे देता, परीक्षा को पास कराने के लिए दलाल आवेदन के कंप्यूटर को रिमोट पर लेकर सवालों के जवाब खुद ही भर दे रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि गाड़ी चलाने का जिनको लाइसेंस मिल रहा है वह कितनों की जिंदगियां खतरे में डाल देंगे।

गाजियाबाद में आए इस प्रकार के मामलों के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं। बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं इसका बड़ा कारण हो सकती हैं। आरटीओ के आंकड़े भी इसको सच साबित कर रहे हैं। जब से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई है तब से 5 प्रतिशत लोग ही परीक्षा में फेल हो रहे, जबकि पहले करीब 40 फीसदी परीक्षा में फेल हो जाते थे। यातायात के नियम का पता नहीं होने के कारण अक्सर ड्राइवर की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। एक्सप्रेसवे पर हो रही घटनाएं इसका बड़ा उदाहरण हैं।

परीक्षा पास कराने का लेते हैं एक हजार रुपये
महेंद्रा एन्क्लेव के रहने वाले शिवम (काल्पनिक नाम) ने लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। परीक्षा दिया लेकिन वह फेल हो गया। इसके बाद शिवम दलाल से संपर्क किया तो एक हजार रुपये मांगा गया। शिवम ने एक हजार रुपये दिए। फिर क्या शिवम अपने घर पर ही लैपटॉप के सामने बैठा था। उसके लैपटॉप को रिमोट पर लेकर दलाल ने दूर बैठकर परीक्षा दे दिया। शिवम का लर्निंग लाइसेंस बन गया। इसकी जानकारी भी आरटीओ के पास पहुंची लेकिन खास बात यह है कि अगर इसकी कोई शिकायत भी करता है तो इस तरह की होने वाली गड़बड़ियों को पकड़ने को लेकर आरटीओ के पास कोई इंतजाम नहीं है। अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं जबकि इस बात की जानकारी अधिकारियों को पूरी तरह से है लेकिन सिस्टम में कोई चेक पॉइंट नहीं होने से दलालों का वर्चस्व दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।

2500 रुपये में लिया जा रहा है ठेका
आरटीओ के बाहर सक्रिय दलाल लर्निंग लाइसेंस का आवेदन करने से लेकर परीक्षा देने का पूरा ठेका 2500 रुपये में ले रहे हैं जबकि इसकी फीस केवल 350 रुपये है। इस पूरी प्रक्रिया में दलाल आवेदन करने के साथ ही स्लॉट दिलवाने और परीक्षा पास करवाने की जिम्मेदारी लेता है। नए सिस्टम के तहत पब्लिक को लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ जाने की जरूरत ही नहीं है।

सिस्टम में लगवाना होगा चेक पॉइंट
आईटी एक्सपर्ट परमीत मलिक का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए आरटीओ के सॉफ्टवेयर में चेक पाइंट लगवाने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई जिस लैपटॉप से परीक्षा दे रहा है उसे रिमोट पर लिया जाता है तो सिस्टम इसे रोक सके। इसके अलावा एक ही आईपी एड्रेस से लगातार आवेदन नहीं जा सकें। इससे दलालों के वर्चस्व को तोड़ा जा सकता है।

फेल होने की संख्या केवल पांच फीसदी
खास बात यह है कि जब से लर्निंग लाइसेंस के ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई तब से इसकी परीक्षा में फेल होने वाले की संख्या केवल पांच फीसदी ही रह गई है। जबकि जब मैनुअल परीक्षा होती थी तो फेल होने वालों की संख्या 40 फीसदी तक होती थी। इस तरह की गड़बड़ियों से लाइसेंस हासिल करने वाले लोग हादसे का भी कारण बन सकते है।

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