NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- दफनाने से पहले तोड़ी जाएगी पोप की अंगूठी: सफेद धुएं के क्या मायने; ईसाई धर्मगुरु के निधन के बाद की पूरी प्रक्रिया

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NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- दफनाने से पहले तोड़ी जाएगी पोप की अंगूठी:  सफेद धुएं के क्या मायने; ईसाई धर्मगुरु के निधन के बाद की पूरी प्रक्रिया

NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- दफनाने से पहले तोड़ी जाएगी पोप की अंगूठी: सफेद धुएं के क्या मायने; ईसाई धर्मगुरु के निधन के बाद की पूरी प्रक्रिया

दुनिया के सबसे बड़े धर्मगुरुओं में से एक रोमन कैथोलिक ईसाई धर्म के पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। सोमवार सुबह वेटिकन सिटी के सीनियर ऑफिशियल कार्डिनल केविन फेरेल ने ऐलान किया, ‘आज सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर रोम के बिशप फ्रांसिस, फादर के घर लौट गए। उनका पू

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उनकी इच्छा के मुताबिक, उन्हें उनकी पसंदीदा चर्च में दफनाया जाएगा। इससे पहले आम तौर पर पोप का शरीर संरक्षित करने की परंपरा है।

पोप का शरीर शांत होने के बाद उनकी अंगूठी क्यों तोड़ते हैं, नए पोप के लिए गोपनीय वोटिंग में चर्च से धुआं क्यों उठता है; उनके निधन से जुड़े 10 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर में…

सवाल-1: पोप फ्रांसिस की मौत कैसे हुई?

जवाब: पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें ‘ब्रॉन्काइटिस’ यानी सांस की नली में सूजन हो गई थी। दरअसल, युवावस्था में पोप को प्लूरिसी नाम की फेफड़ों की बीमारी हो गई थी। इसके चलते उनके फेफड़े का एक हिस्सा निकाल दिया गया था। सर्दियों के मौसम में पोप को फेफड़ों का इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता था। मार्च 2023 में भी ब्रॉन्काइटिस के चलते पोप को 3 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।

इस बार जब पोप अस्पताल में भर्ती हुए तो डॉक्टर्स ने जांच के बाद बताया कि पोप को बायलेट्रल निमोनिया हुआ है। असल में निमोनिया एक तरह का फेफड़ों का इन्फेक्शन है। इसके चलते फेफड़ों के अंदर मौजूद छोटे-छोटे हवा के थैलों में सूजन हो जाती है। जब सूजन बढ़ती है तो इन थैलों में पानी भर जाता है। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत और खांसी, बुखार वगैरह हो जाता है।

यही संक्रमण जब दोनों फेफड़ों में हो जाता है तो इसे बायलेट्रल निमोनिया कहते हैं। डॉक्टर्स का कहना था कि पोप फ्रांसिस को सेप्सिस यानी खून में संक्रमण का खतरा है।

जेमेली अस्पताल से आई पोप की तस्वीर (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)

38 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 23 मार्च को छुट्टी मिली थी। एक महीने से भी कम समय में 21 अप्रैल को उनका निधन हो गया।

सवाल-2: पोप की मौत की घोषणा कैसे होती है?

जवाब: पोप के अलावा कैथोलिक चर्च के दुनिया भर में 252 प्रमुख पादरी हैं, जिन्हें कार्डिनल कहा जाता है। ऐसे 5 कार्डिनल्स भारत में भी हैं। इन्हीं में से एक वेटिकन के सबसे सीनियर कार्डिनल पोप की मृत्यु की पुष्टि करते हैं। इन्हें कैमरलेंगो कहा जाता है। अभी यह पद आयरिश मूल के कार्डिनल केविन फैरेल के पास है।

कैमरलेंगो ही चर्च के अंदर पोप की मृत्यु के बाद उनके निजी प्रार्थना कक्ष यानी चैपल में उनका पार्थिव शरीर देखते हैं। उसके बाद उन्हें उठाने के लिए उनका नाम पुकारते हैं।

मौत के बाद डॉक्टर्स भी पोप की मौत की आधिकारिक पुष्टि करते हैं। परंपरा के मुताबिक, जब पोप के शरीर में मेडिकल ट्रीटमेंट से कोई भी सुधार होना बंद हो जाता है और शरीर पूरी तरह शांत हो जाता है तो उनकी उस अंगूठी को तोड़ दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल वो दस्तावेजों पर मुहर की तरह करते थे। यह पोप के शासन के अंत का प्रतीक होता है। इसके बाद पोप के चैपल को पूरी तरह सील कर दिया जाता है।

कैमरलेंगो सबसे पहले चर्च के दूसरे सीनियर कार्डिनल्स के ग्रुप यानी कार्डिनल्स कॉलेज को बताते हैं कि पोप की मौत हो गई है। इसके बाद वेटिकन प्रशासन मीडिया को इसकी सूचना देता है।

सवाल- 3: निधन के बाद शरीर का क्या होता है?

जवाब: पोप की मृत्यु के बाद 9 दिनों तक शोक मनाया जाता है। रोम की प्राचीन प्रथा के अनुसार इस अवधि को ‘नोवेन्डिएल’ के नाम से जाना जाता है। इस दौरान पोप को ईश्वर का आशीर्वाद दिया जाता है। उन्हें पोप के कपड़े पहनाकर सेंट पीटर बेसिलिका नाम की जगह पर ले जाया जाता है। सेंट पीटर बेसिलिका असल में रोम के पहले पोप सेंट पीटर को दफनाने की जगह है। यहां लोग सार्वजनिक रूप से पोप फ्रांसिस के अंतिम दर्शन करेंगे।

ऐतिहासिक रूप से पोप की मृत्यु के बाद उन्हें दफनाने के बीच के समय में पार्थिव शरीर को संरक्षित करना होता है। इसके लिए पोप के शरीरों से उनके कुछ अंग भी निकाल लिए जाते हैं। यह परंपरा 16वीं से 19वीं सदी तक चली। रोम में 18वीं सदी में बनाया गया एक फव्वारा है, इसे ट्रेवी फाउंटेन कहते हैं। इसके पास एक चर्च में 20 से ज्यादा पोपों के दिल संगमरमर पत्थर के बने कलशों में रखे हुए हैं।

सवाल-4: पोप को कहां दफनाया जाएगा?

जवाब: पोप के शव को आम तौर पर उनके निधन के एक हफ्ते बाद दफनाया जाता है। इस प्रक्रिया की अगुआई कार्डिनल्स कॉलेज के डीन करते हैं। अभी ये पद 91 साल के इटली के जियोवानी बतिस्ता रे के पास है। आम तौर पर पोप के शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे बने तहखाने ‘वेटिकन ग्रोटोज’ में दफनाया जाता है।

हालांकि, पोप फ्रांसिस ने 2023 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्होंने रोम में सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका को अपने अंतिम विश्राम स्थल के रूप में चुना है। ये चर्च फ्रांसिस की सबसे पसंदीदा चर्च रही है। वह अक्सर यहां जाते रहे। नवंबर 2024 में उनकी अनुमति के बाद पोप को दफनाने के साल 2000 के नियमों में कुछ बदलाव कर उन्हें आसान बनाया गया था। इन बदलावों के पीछे पोप की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार एक सामान्य पादरी की ही तरह किया जाए।

सवाल 5: पोप कौन होते हैं, ये पद कितना ताकतवर है?

जवाब: ईसा मसीह के सभी अनुयायियों को ईसाई कहा जाता है। ईसाई धर्म के अंदर भी कई सेक्शन यानी समूह हैं- जैसे कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स। कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरुओं में सबसे बड़ा ओहदा पोप का होता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है- पापा यानी पिता। दुनिया में सबसे छोटा संप्रभु देश है वेटिकन सिटी। यहीं से पोप का राजकाज चलता है।

‘होली सी’ या ‘परमधर्म पीठ’ नाम की एक संस्था को रोमन कैथोलिक चर्च और पोप का राजनयिक प्रतिनिधि कहा जाता है। इसका मुख्यालय भी वेटिकन सिटी में है। होली सी को एक तरह से रोमन चर्च और पोप की सरकार माना जाता है। जिस तरह ज्यादातर देशों के दुनिया भर में दूतावास होते हैं। उसी तरह भारत सहित दुनिया के कई देशों में वेटिकन की इस होली सी के डिप्लोमेटिक मिशन हैं। इन्हें वेटिकन का धार्मिक राजदूत आवास या ‘एपस्टोलिक ननसियेचर’ कहते हैं।

पोप फ्रांसिस को दुनिया के ज्यादातर ईसाई देश सबसे बड़ा धर्मगुरु मानते हैं। ईसाई धर्म के मामलों में पोप के आदेश आदर के साथ स्वीकार किए जाते हैं। इन देशों के सामाजिक और राजनीतिक मामलों में भी अक्सर पोप के रुख का असर होता है।

पोप फ्रांसिस के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)

सवाल 6: पोप फ्रांसिस कब से इस पद पर थे?

जवाब: पोप ताउम्र अपने पद पर रहते हैं। 28 फरवरी 2013 को पोप बेनेडिक्ट XVI ने अपनी उम्र और बीमारी का हवाला देते हुए पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। रोमन कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी पोप ने खुद से पद छोड़ा हो। बेनेडिक्ट के बाद फ्रांसिस ने उनका पद संभाला। 13 मार्च 2013 को इटली के कवि सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में आयोजित पोपों के एक सम्मेलन में अर्जेंटीना के कार्डिनल खोर्खे मारियो बैरगोगलियो को नया पोप चुना गया था। नया पोप चुने जाने के बाद उनका नाम पोप फ्रांसिस हो गया, वह बेनेडिक्ट के उत्तराधिकारी चुने गए।

13 मार्च 2013 को जब बैरगोगलियो को नया पोप चुना गया, तब वेटिकन के सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं दिखाई दिया था।

सवाल 7: पोप कौन बन सकता है?

जवाब: कोई भी पुरुष, जो कैथोलिक हो और जिसका बपतिस्मा हो चुका हो, वह पोप बन सकता है। बपतिस्मा एक कैथोलिक रिवाज है, इसके बाद ही कोई कैथोलिक कहा जा सकता है। कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक, कोई महिला पोप नहीं बन सकती। हालांकि कहा जाता है कि मिडिल एज में एक बार एक औरत ने पुरुषों के कपड़े पहनकर पोप का कामकाज देखा था। इस पर 2009 में ‘पोप युआन ‘ (Pope Joan) नाम से एक फिल्म भी बन चुकी है।

जैसा हमने पहले बताया कि अलग-अलग देशों के कार्डिनल्स, अपने देशों में कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु या पादरी होते हैं। पोप को अलग-अलग मुद्दों पर सलाह देने वाली 9 कार्डिनल्स की एक काउंसिल होती है। आम तौर पर इन्हीं में से किसी एक को अगला पोप चुना जाता है।

सवाल 8: पोप के चुनाव की प्रक्रिया क्या है?

जवाब:

सवाल 9: क्या नए पोप के चुनाव के बाद उनका नाम बदल जाता है?

जवाब: जी हां, नए पोप का चयन होने के बाद कार्डिनल्स कॉलेज का एक प्रतिनिधि सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से हजारों लोगों के सामने लैटिन भाषा में घोषणा करता है- ‘बेमस पापम’ यानी- ‘हमारे पास एक पोप है।’

इसके बाद चुने गए पोप, एक नया पोप नेम चुनते हैं। ये आम तौर पर किसी पुराने सेंट या पोप के सम्मान में उनके नाम पर होता है। नए पोप एक नया कासक (पूरा शरीर ढकने वाली पोशाक) पहनकर जनता को बेसिलिका की बालकनी से पहला संबोधन देते हैं।

सवाल 10: पोप फ्रांसिस के बाद अगला पोप बनने का सबसे बड़ा दावेदार कौन है?

जवाब: मीडिया रिपोर्ट्स में पोप के उत्तराधिकार के सबसे प्रबल दावेदारों में फिलहाल 5 कार्डिनल्स के नाम चल रहे हैं।

पोप के वो बयान और किस्से जो अक्सर याद किए जाते हैं…

1. पादरी के शादी करने पर कोई विरोध नहीं है: 13 मार्च 2023 को पोप फ्रांसिस ने अर्जेंटीना के इंफोबे पब्लिकेशन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था,

एक पादरी के शादी करने पर कोई विरोध नहीं है। ब्रह्मचर्य का पालन पश्चिमी चर्च में अस्थायी है। पूर्वी चर्च में जो लोग शादी करना चाहते हैं, वो करते हैं। दीक्षा से पहले शादी करने या न करने का विकल्प होता है।

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पूर्वी चर्च, कैथोलिक धर्म की एक शाखा है, जो ज्यादा छूट देती है। ईस्टर्न चर्च भी पोप की प्रधानता को स्वीकारता है। हालांकि साल 2019 में अपने एक बयान में ब्रह्मचर्य को उपहार बताया था। तब उन्होंने पादरियों के लिए शादी की बात पर कहा था कि वो ब्रह्मचर्य पर विकल्प देने की बात से सहमत नहीं हैं।

2. प्रे (प्रार्थना) करने बैठते हैं तो नींद आ जाती है: कैथोलिक ईसाइयों का एक चैनल है। कैथोलिक TV2000। इस पर ईसाई धर्म-कर्म के प्रोग्राम आते रहते हैं। 31 अक्टूबर 2017 को इस चैनल पर पोप फ्रांसिस ने कहा था,

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कई बार जब आंख बंद करके गॉड की प्रे (प्रार्थना) करने के लिए बैठते हैं, तब नींद आ जाती है।’

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पोप ने आगे कहा कि ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। उनसे पहले भी कई संत ऐसा करते आए हैं और करते हैं।

3. स्वर्ग और नरक बस कहने की बातें हैं: एक बार पोप फ्रांसिस ने कहा था,

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स्वर्ग और नरक जैसा असल में कुछ नहीं होता। सब कहने की बातें हैं।

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4. सोने के शौकीन पोप फ्रांसिस पूरे 8 घंटे सोते थे: पोप को नींद बड़ी प्यारी थी। घड़ी में रात के नौ बजते ही पोप बिस्तर पर चले जाते थे और सुबह पांच बजे उठते थे। वह दोपहर का खाना खाने के बाद भी थोड़ी देर के लिए झपकी मार लेते थे।

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